आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को कैबिनेट की मंजूरी, 22810 करोड़ रुपये खर्च की अनुमति
नयी दिल्ली, 09 दिसंबर 2020/ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आत्मनिर्भर भारत पैकेज तीन के तहत कोविड रिकवरी फेज में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार अवसरों को प्रोत्साहित किए जाने को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसके तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये की धनराशि और पूरी योजना अवधि 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्यय की अनुमति दी है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस योजना अवधि में लगभग 58.5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी। बयान में कहा गया, ‘‘जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 कर्मचारी हैं वहां केन्द्र सरकार दो वर्ष की अवधि के लिए 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान और 12 प्रतिशत नियोक्ता योगदान (दोनों) वेतन भत्तों का 24 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान देगी।’’ इसके मुताबिक जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी। कोई कर्मचारी जिसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्थान में काम नहीं कर रहा था जो एक अक्टूबर 2020 से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीकृत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल एकाउंट नंबर या ईपीएफ सदस्य खाता नंबर नहीं था तो वह इस योजना के लिए पात्र होगा।
कोई भी ईपीएफ सदस्य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान इस वर्ष मार्च से सितंबर के बीच की अवधि में अपनी नौकरी छोड़ दी और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार प्रदाता संस्थान में सितंबर तक रोजगार नहीं मिला है तो वह भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है। बयान में कहा गया कि सदस्यों के आधार संख्या से जुड़े खाते में ईपीएफओ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा। इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त तरीका अपनाएगा कि एबीआरवाई और ईपीएफओ द्वारा लागू की गई किसी अन्य योजना के लाभ आपस में परस्पर व्याप्त (ओवरलैपिंग) नहीं हुए हैं।