- Home
- breaking
- Chhattisgarh
- किसान आंदोलन पर काशी से पीएम मोदी ने किया विपक्ष पर वार
किसान आंदोलन पर काशी से पीएम मोदी ने किया विपक्ष पर वार
नए कानून से किसानों को छल से बचाने को विकल्प मिला
वाराणसी, 30 नवंबर 2020/ देव दीपावली के मौके पर काशी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर 2020 को किसान आंदोलन पर विपक्ष पर वार किया। उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन के बीच कृषि कानूनों के फायदे गिनाए। उन्होंने विपक्ष पर वार करते हुए कहा कि भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई देश के सामने आ रही है। नए कानून से किसानों को छल से बचाने को विकल्प मिला है। किसानों को नए प्रकल्प और विकल्प दोनों साथ साथ चलें तभी देश का कायाकल्प होता है।
सरकारें नीतियां बनाती हैं। नीतियों पर सवाल उठता है तो उसका लाभ होता है। लेकिन पिछले कुछ समय से अलग ही देखने को मिल रहा है। पहले सरकार का फैसला लोगों को पसंद नहीं आता था तो विरोध होता था। अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि, भ्रम फैलाकर, आशंकाए फैलाकर प्रचार किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य को लेकर आशंकाएं फैलाई जा रही हैं। जो हुआ ही नहीं है, जो होगा ही नहीं, उसे लेकर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसा ही कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर खेल खेला जा रहा है। यह वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि एमएसपी की घोषणाएं बहुत होती थी लेकिन खरीद नहीं होती थी। किसानों के नाम पर कर्ज माफी के पैकेज घोषित किये जाते थे लेकिन छोटे किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी के नाम पर छल किया गया। किसानों के नाम पर योजनाएं देते थे लेकिन छल होता था।
छोटे किसानों के साथ होता था धोखा : मोदी
मंडी व्यवस्थ पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।
भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? अगर किसान को ऐसा कोई खरीददार मिल जाए, जो सीधा खेत से फसल उठाए और बेहतर दाम दे, तो क्या किसान को उसकी उपज बेचने की आजादी मिलनी चाहिए या नहीं?