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विधानसभा का विशेष सत्र : जब देश कोरोना से जूझ रहा था, तब किससे पूछकर लाए 3 कानून: बघेल
सीएम बघेल ने केंद्र सरकार के तीनों कानूनों को बताया किसान विरोधी
पहले दिन ही सभी प्रस्ताव पूरे कर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई
रायपुर, 28 अक्टूबर 2020/ सीएम भूपेश बघेल ने मंगलवार को विधानसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिल के औचित्य पर सवाल खड़े किए। सीएम ने कहा कि जब देश कोरोना से जूझ रहा था, तब किससे पूछकर कानून लाए गए। किसानों के हितों की परवाह न करते हुए अध्यादेश जारी कर दिए। इस कारण ही केंद्र के एक सहयोगी दल की मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। एनडीए के कई केंद्रीय मंत्री भी इन कानूनों से सहमत नहीं हैं। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि केंद्र के तीनों कानून किसानों के हित में हैं। इससे किसानों का भला नहीं होने वाला है, बल्कि यह पूंजीपतियों को लाभ देने वाला कानून है। बिहार में यह कानून 2006 से लागू है। इसके बावजूद वहां समर्थन मूल्य तो दूर 1300 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक में कोई धान खरीदने वाला नहीं है। जब इस कानून से बिहार का भला नहीं हुआ तो देश के किसानों का भला होने वाला नहीं है। सीएम ने कहा कि नए कानून के तहत निजी मंडी खोलकर सरकारी मंडियों को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस कानून से धीरे-धीरे मंडियां खत्म हो जाएंगी। यह चिटफंड कंपनी जैसी व्यवस्था है। जिस तरीके से चिटफंड कंपनियां लोगों को लालच देकर लूटती हैं, उसी तरह केंद्र द्वारा पारित नए कानून से किसान और उपभोक्ता लूटे जाएंगे।
यूपीए ने धान और गेहूं के लिए बोनस दिया, भाजपा ने रोका
सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार समर्थन मूल्य तय करती है तो किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने की जिम्मेदारी भी केंद्र की है। जब छत्तीसगढ़ के किसानों का धान 2500 रुपए क्विंटल में खरीदना शुरू किया, तब केंद्र ने बोनस देने पर प्रतिबंध लगा दिया। उस समय राजीव किसान न्याय योजना के जरिए शेष राशि देने का प्रावधान किया गया। यूपीए सरकार ने धान और गेहूं के लिए किसानों बोनस दिया, जबकि भाजपा बोनस देने से रोकती है। सीएम ने कहा कि केंद्र द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम में जो बदलाव किया गया है, वह लोगों के लिए नुकसानदायक है। कॉर्पोरेट और बड़े व्यापारी मनमाफिक कीमत पर किसानों की उपज खरीदकर लोगों को लूटेंगे। इस कानून के कारण ही आलू-प्याज की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं।
2100 रुपए में खरीदी का वादा कर किसानों को क्यों धोखा दिया: चौबे
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने स्व. सुषमा स्वराज को याद करते हुए उनका चार दिसंबर 2012 का लोकसभा का भाषण याद दिलाया। चौबे ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में सुषमा स्वराज ने मंडियों को बंद करने का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि मंडी का स्थानीय व्यापारियों से सीधा संपर्क होता है। घर में शादी ब्याह हो या कुछ और यह संबंध उन्हें जोड़े रखता है। उन्होंने कहा था कि वॉलमार्ट की मंडी खोलने जा रहे हैं? चौबे ने कहा कि वे दो नाम और जोड़ रहे हैं। सारा व्यापार अंबानी-अडानी करेंगे तो फुटकर में धंधा करने वाले कहां जाएंगे? हमें बार-बार घोषणा पत्र पढ़ने कहा जाता है। आपने भी 2100 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था, किसानों को तब धोखा क्यों दिया? इस संशोधन को कोई नहीं रोक सकता। हम अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर यह संशोधन कर रहे हैं। संघीय ढांचा है, हम क्यों और किसलिए केंद्र से टकराएंगे। हमारे कृषि को व्यापार से मत जोड़िए, संविधान ने कृषि को लेकर राज्यों को पूरा अधिकार दिया है। हमने यह संशोधन लाया है कि किन किसानों से खरीदी की गई, इसकी जांच करेंगे। जरूरत पड़ेगी तो न्यायालय में वाद भी दायर करेंगे।
केंद्र का कानून राष्ट्रपति से अनुमोदित इसलिए राज्य का स्वमेव शून्य: रमन
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन पर बोलते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया संशोधन विधेयक तकनीकी दृष्टि से अपरिपक्व और विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है। इससे छत्तीसगढ़ के किसानों को कोई फायदा नहीं होना है। केंद्रीय संसद द्वारा इस विषय से संबंधित अधिनियम पहले से राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, अत: राज्यों द्वारा पारित विधेयक स्वमेव शून्य हो जाएगा। पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने से राज्य के किसान खुद को ठगा महसूस कर रहा है। भाजपा सरकार ने धान खरीदी की जो व्यवस्था बनाई थी, उसे भूपेश सरकार ने तहस-नहस कर दिया है। सरकार की नीति से तंग आकर किसान आत्महत्या कर रहा है।
किसानों का हित भूलकर इंस्पेक्टर राज लाना चाह रही सरकार: कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि जब सरकार संशोधन विधेयक लेकर आई तब, यह उम्मीद थी कि इसमें किसानों के हित की बात होगी। उनकी आय के स्रोत कैसे बढ़ें, इसकी बात होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। इस कानून के जरिए सरकार इंस्पेक्टर राज लाना चाहती है। किसानों को परेशान करने के लिए यह कानून लेकर आ रही है। पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जितनी मंडियों हैं, उनमें सिर्फ 8-10 ही चालू हैं। ऐसे में विशेष सत्र बुलाकर संशोधन की जरूरत नहीं है। भाजपा नहीं, बल्कि कांग्रेस की सरकार उद्योगपतियों की सरकार है। अजय चंद्राकर ने कहा कि केंद्र ने जो कानून लागू किए हैं, वे सभी कांग्रेस के घोषणा पत्र में थे। किसानों के हित में यह कानून लागू किया है।
एक नवंबर से धान खरीदी की मांग पर विपक्ष अड़ा, सदन की कार्यवाही स्थगित
विशेष सत्र का पहले ही दिन में सारी कार्यवाही निपटा कर विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले भाजपा विधायकों ने धान खरीदी एक नवंबर से शुरू करने की मांग पर जमकर हंगामा किया। सरकार से कोई जवाब नहीं आने पर विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच कांग्रेसी विधायक भी खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। दोनों से नारेबाजी होते देख स्पीकर ने कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के बाद पूर्व सीएम डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि धान को काटने के बाद किसानों के एक से डेढ़ महीने संभालकर रखना पड़ेगा। इससे उसे अतिरिक्त खर्च आएगा इसलिए एक नवंबर से धान खरीदी शुरू की जाए। कृषि मंत्री ने 10 नवंबर तक रजिस्ट्रेशन की घोषणा की है।
संसदीय सचिव की भूमिका की जानकारी नहीं दी, विपक्ष ने किया जोरदार हंगामा
भाजपा विधायकों ने एक बार फिर संसदीय सचिवों की भूमिका पर सवाल उठाए। अजय चंद्राकर ने कहा कि पिछले सत्र के दौरान आसंदी ने सरकार को संसदीय सचिव के संबंध जानकारी देने के निर्देश दिए थे लेकिन आज तक उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। वे मंत्री हैं, विधायक हैं आखिर क्या हैं वे, उनका स्टेटस क्या है? बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आसंदी के निर्देश के बाद भी सरकार द्वारा जवाब नहीं दिया गया है। इस पर विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि आसंदी ने कहा था यथासंभव जानकारी दें तो जानकारी जुटाई जा रही है। अकबर के इतना बोलते ही विपक्षी विधायकों ने आसंदी का अपमान बताते हुए हंगामा कर दिया। इस पर स्पीकर महंत ने मंत्री को इसकी जानकारी अतिशीघ्र देने के निर्देश दिए।
राजभवन और सरकार में टकराव का मामला गूंजा
राजभवन व सरकार के बीच टकराव को लेकर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्यपाल ने जब सत्र बुलाने की जानकारी मांगी तो उन्हें उनकी मर्यादा बताई गई। संसदीय कार्यमंत्री चौबे व डाॅ. शिव डहरिया ने कहा कि राज्यपाल के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करने पर भाजपा विधायकों को खेद व्यक्त करना चाहिए। वहीं चौबे ने कहा कि जब राजभवन के राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जाएगा तो विरोध होगा।
चंद्राकर ने उठाया आसंदी के अपमान का मुद्दा
भाजपा के अजय चंद्राकर ने विधानसभा भवन के शिलान्यास समारोह में आसंदी के अपमान का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में स्पीकर डॉ. चरणदास महंत का नाम सबसे आखिरी में लिखा गया है, जबकि उनके ऊपर सांसद का नाम लिखा गया है। सांसद स्पीकर से बड़ा नहीं होता। यह स्पीकर का अपमान है। इसके विरुद्ध उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया।
क्वींस क्लब पर धर्मजीत और अकबर में नोंकझोंक
क्वींस क्लब में नशे के कारोबार पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। इसे लेकर विधायक धर्मजीत सिंह और मंत्री मोहम्म्द अकबर में नोंकझोंक हुई। धर्मजीत ने क्लब में मुंबई, गोवा और नाइजीरिया के कनेक्शन होने का आरोप भी लगाया। क्लब में चल रहे अवैध शराब और नशे के काराेबार पर सरकार का अंकुश नहीं है। प्रभावशाली लोग क्लब संचालकों को बचा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि आरोपियों पर कार्रवाई की गई है।
मरकाम के भाषण का भाजपा ने किया बहिष्कार
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के खिलाफ की गई टिप्पणी के विरोध में कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम के भाषण का भाजपा विधायकों ने बहिष्कार कर दिया। मरवाही चुनाव प्रचार के दौरान मरकाम ने शराब की कीमत को लेकर नेता प्रतिपक्ष कौशिक द्वारा की गई टिप्पणी पर कहा था कि हम शराब नहीं पीते इसलिए हमें शराब की कीमत नहीं मालूम। जो शराब पीते हैं वही जानेंगे। उन्होंने पूर्व सीएम व कौशिक का नाम भी लिया था।