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कैबिनेट की बैठक में सात हजार करोड़ के जल जीवन मिशन के सारे टेंडर निरस्त करने के निर्देश : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
सीएम भूपेश ने चर्चा के दौरान जताई नाराजगी, इसके बाद लिया गया फैसला
रायपुर, 27 अक्टूबर 2020/ सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सात हजार करोड़ के जल जीवन मिशन के सारे टेंडर निरस्त करने के निर्देश दिए। खबर है कि बैठक के दौरान पीएचई मंत्री रुद्र गुरु ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन सीएम ने टेंडर निरस्त करने का फैसला किया। सीएम ने कहा है कि ग्रामीणों से जुड़ी योजनाओं में किसी तरह का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक के बाद प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि इस योजना के टेंडर प्रोसेस में राज्य ने जो डिसेंट्रलाइज कर नया एसओआर बनाया था उसे लेकर विवादों को देखते हुए कैबिनेट ने निरस्त करने का फैसला किया है। कैबिनेट ने सीएम के निर्देशानुसार केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ही योजना लागू करने की सहमति दी है। गांवों में घर-घर तक पाइपलाइन के जरिए पानी सप्लाई के लिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन शुरू किया है। इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ में सात हजार करोड़ के काम होने हैं। सीएम बघेल से जल जीवन मिशन के ठेके में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियोंं की शिकायत मिली। इसे लेकर उन्होंने तत्काल सीएस आरपी मंडल की अध्यक्षता में एसीएस अमिताभ जैन और पीएचई सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी की जांच कमेटी बनाई।
कमेटी ने अपनी जांच में शिकायतों को सही पाया। नियमों को दरकिनार कर बाहरी ठेकेदारों को ठेके दिए गए थे, जबकि स्थानीय ठेकेदारों को बस्तर और सुदूर नक्सल क्षेत्रों में छोटे काम दिए गए थे। छह हजार करोड़ के ठेके में ऐसी गड़बड़ियां सामने आई हैं। यह रिपोर्ट सीएम को दी गई। उन्होंने कैबिनेट में सभी मंत्रियों की मौजूदगी में टेंडर रद्द करने के निर्देश दिए। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में नियम-शर्तों को दरकिनार कर जिस तरीके से ठेके दिए जा रहे थे, उसकी जानकारी केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को भी थी। इस संबंध में चार दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र भेजकर गंभीर आपत्ति की थी। इस वजह से भी सीएम ने ऐसी गड़बड़ी को रोकने के लिए टेंडर रद्द कर सख्त संदेश दिए हैं। हालांकि दो दिनों से ईएनसी दफ्तर और पीएचई मंत्रालय ने ठेकेदारों को लामबंद कर टेंडर को रद्द होने से बचाने की काफी कोशिश की। दो दिनों में सीएम से कई प्रतिनिधिमंडलों ने मिलकर बात की थी।
डी श्रेणी के ठेकेदार को दस करोड़ के काम
जल जीवन मिशन में ईएनसी दफ्तर की भूमिका कठघरे में है। वर्क्स डिपार्टमेंट के लिए जो मेनुअल बनाए गए हैं, उन सारे कायदों को ताक पर रखकर टेंडर तय किए जा रहे थे। ए ग्रेड के ठेकेदार को असीमित काम लेने की पात्रता है। बी ग्रेड को दस करोड़, सी ग्रेड को 2 करोड़ और डी ग्रेड के ठेकेदार को एक करोड़ के काम की पात्रता होती है। इसके विपरीत डी ग्रेड के ठेकेदार को भी दस करोड़ तक काम दिए गए। सात हजार करोड़ के प्रोजेक्ट में 38.34 लाख घरों में पाइपलाइन बिछाकर पेयजल सप्लाई की योजना है। इसमें छह हजार करोड़ के ठेके बाहरी फर्मों को आबंटित किए गए हैं।
तीन दिनों से दफ्तर नहीं आ रहे हैं ईएनसी
जल जीवन मिशन के ठेकों को गड़बड़ी का केंद्र ईएनसी दफ्तर था। चर्चा है कि तत्कालीन सचिव ने इस पर आपत्ति की थी। इस वजह से सचिव बदला गया। इसके बाद ईएनसी दफ्तर ने नियमों में कई बदलाव किए तो स्थानीय ठेकेदारों ने अपनी ओर से जानकारी जुटाकर पूरी रिपोर्ट तैयार की। इसे सीएम बघेल को दिया गया। जैसे ही सीएम को इसकी खबर मिली तो वे गंभीर हो गए और सचिव स्तर पर कमेटी बनाने के बजाय सीधे मुख्य सचिव को जांच की जिम्मेदारी दे दी। इसके बाद से ईएनसी ने दफ्तर आना ही बंद कर दिया। नए ईएनसी की नियुक्ति की चर्चा है।
एक रुपए की टोकन मनी पर मिलेगी जमीन
छत्तीसगढ़ में अब विशेष पैकेज के लिए लघु उद्योग लगाने वाली कंपनियों के लिए न्यूनतम 50 लाख रुपए और अधिकतम पांच करोड़ रुपए का निवेश करना जरूरी कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने प्रदेश की नई औद्योगिक नीति 2019-24 के संशोधन प्रस्ताव को भी अनुमति दे दी है। इनमें उद्योगों को मान्य स्थानीय पूंजी निवेश पर अनुदान के रुप में स श्रेणी के विकासखंडों में कुल निवेश का 40 फीसदी यानी पांच साल में अधिकतम 40 लाख रुपए तथा द श्रेणी के विकासखंडों में कुल निवेश का 50 फीसदी यानी पांच साल में अधिकतम 50 लाख रुपए हर साल दिया जाएगा। औद्योगिक नीति संशोधन प्रस्ताव के तहत वनोपज, हर्बल तथा वन आधारित अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों के निर्माण और मूल्य संवर्धन का काम राज्य में हो इसके लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज (वनांचल उद्योग पैकेज) काे भी मंजूरी दी गई।