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अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी-अमित शाह सहित पूरा देश कर रहा नमन

4 years ago
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भगत सिंह की 113 वीं जयंती 


28 सितंबर 2020/  देश आज उस वीर सपूत को याद कर रहा है जिससे देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाली हुकूमत कांप गई थी. आज शहीद भगत सिंह का जन्मदिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के दौरान शहीद वीर भगत सिंह की जयंती पर भी चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता. इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी.
आज भी पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा मां भारती के वीर सपूत अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. वीरता और पराक्रम की उनकी गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी.
वहीं देश के गृह मंत्री अमित शाह ने शहीद भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि अपने परिवर्तनकारी विचारों व अद्वितीय त्याग से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाले और देश के युवाओं में स्वाधीनता के संकल्प को जागृत करने वाले शहीद भगत सिंह जी के चरणों में कोटि-कोटि वंदन. भगत सिंह जी युगों-युगों तक हम सभी देशवासियों के प्रेरणा के अक्षुण स्त्रोत रहेंगे.
महज़ 23 सालकी उम्र में मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे पर झूलने वाले भगत सिंह के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी के फंदे पर झूल गए. जिसके बाद उनका नाम सुनहरे अक्षरों में इतिहास में दर्ज हो गया. वो एक ऐसे क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन में अपना जीवन कुर्बान कर दिया.

भगतसिंह को था फिल्मों का शौक
भगत सिंह 28 सितंबर 1907 को अविभाजित भारत के लायलपुर ज़िले के बंगा में पैदा हुए. अब ये पाकिस्तान में है, उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलां हैं जो पंजाब (भारत) में है. हर युवा की तरह ही भगत सिंह भी फिल्में देखने के शौकीन थे. उन्हें चार्ली चैपलिन की फिल्में बहुत पसंद थीं. भगत सिंह को रसगुल्ले खाने का भी खासा शौक था. लांग शूज भी भगत सिंह की पसंद में शुमार था. अमृतसर के म्यूजियम में उनके लांग शूज आज भी रखे गए हैं.

पंडित ने की थी भविष्यवाणी
देश के साथ ही भगत सिंह को अपने परिवार से भी बहुत प्यार था. भगत सिंह की फांसी की खबर पर उनकी मां ने गुरुद्वारे में पाठ कराया. जब भगत सिंह को ये पता चला तो उन्होंने अपनी मां से इस बारे में बात की. भगत सिंह के माता-पिता ने उनकी कुंडली एक पंडित को दिखाई थी. पंडित ने कहा था कि आपके बेटे का खूब नाम होगा. पंडित ने कहा था कि एक सम्मानित चीज़ भी इसे गले में पहनाई जाएगी. फांसी का फंदा भी भगत सिंह के लिए फक्र की बात थी.

बंदूकें बो रहा हूं देश को आज़ाद कराने के लिए
एक किस्सा ये भी है कि जब पिता किशन सिंह अपने दोस्त के खेत पर गए तो भगत सिंह को वो अपने साथ ले गए. पिता दोस्त से बातों में लग गए और 5 साल के भगत सिंह खेत में मगन हो गए. अन्य बच्चें खेतों में तिनके लगा रहे थे. किशन सिंह के मित्र नंद किशोर मेहता उनके पास आए और नाम पूछा.. बालक ने कहा भगत सिंह. जब मेहता जी ने भगत सिंह से पूछा कि ये क्या कर रहे हो. तो बालक भगत सिंह ने गर्व से कहा कि मैं बंदूकें वो रहा हूं. जब उनसे पूछा कि बंदूकें क्यों. तो भगत सिंह ने कहा देश को आज़ाद कराने के लिए.

जेल से दिए थे ये दो संदेश
जेल में जब भगत सिंह से उनके वकील प्राणनाथ मेहता ने पूछा कि क्या वो देश को कोई संदेश देना चाहते हैं इस पर भगत सिंह ने कहा कि सिर्फ दो संदेश साम्राज्यवाबद मुर्दाबाद, इंकलाब जिंदाबाद.

इस केस में हुई थी भगत सिंह को फांसी
अंग्रेज सरकार दिल्ली की असेम्बली में पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल पास करवाने की कोशिश में थी. ये वो बिल था जो भारतीयों पर अंग्रेज़ों के दवाब को और बढ़ाने के लिए थी. इस बिल को रोकने के लिए भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ असेंबली में बम फेंका. भगत सिंह ने ऐसी जगह बम फेंका जहां कम लोग थे. विस्फोट से कोई मरा नहीं.. इसके बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह ने खुद को गिरफ्तार करवाया. ये उनकी योजनता थी. गिरफ्तार होने के बीच उन्होंने लोगों को पर्चे बांटे जिस पर लिखा था. बहरों को सुनाने के लिए बहुत ऊंचे शब्द की आवश्यकता होती है. इसी मामले को लाहौर षडयंत्र का नाम दिया गया. इसी केस में भगत सिंह को फांसी और बटुकेश्वर दत्त को कालापानी की सज़ा हुई.

भगत सिंह के विचार
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है
मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत, मेरी मिट्‌टी से भी खुशबू-ए वतन आएगी
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा. मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा

 

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