तुलना में ईर्ष्या भाव न रखते हुए प्रेरणा ग्रहण करें; फिर देखिए ये दिन भी गुजर जाएंगे : पं. विजयशंकर मेहता
रायपुर, 25 सितंबर 2020/ एक-एक इंच जमीन जीतने के लिए पैरों से ज्यादा कलेजा मजबूत रखना पड़ता है। इन दिनों जीविका के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का रूप बदल गया है। इस महामारी से पहले जिस तेज गति से आप आगे बढ़ रहे थे, उसे विराम मत दीजिएगा। हो सकता है कई बार आपको लगे कि तेज दौड़ना तो दूर, अभी तो हम अकारण चल रहे हैं पर इस अकारण के भय से रुक मत जाना।
शास्त्रों में लिखा है, ‘निर्विषेर्णाअपि सर्पेण कर्तव्या महती फणा।’ जैसे विषैला न भी हो, पर यदि सांप फन उठाए तो लोग भयभीत हो जाते हैं। ऐसे ही अपने प्रभाव, अपने बल को थोड़ा-थोड़ा प्रदर्शित करते रहना चाहिए, ताकि लोगों को लगे ये टूटे हुए नहीं हैं। ऐसा प्रदर्शन करने में कोई बुराई नहीं है। यदि आप में योग्यता न हो, बल न हो और फिर प्रदर्शन करें तो आडंबर होगा। परंतु यदि योग्यता है और प्रदर्शन करने की जरूरत पड़े तो पीछे भी मत हटिए।
जिस दिल में हजारों आरजूएं होती थीं, आज भले ही वह वीरान हो गया, लेकिन धड़कना बंद नहीं हुआ है। आज इस विपरीत दौर में भी कुछ लोग सफल हो रहे हैं और किसी गलत मार्ग से नहीं, बल्कि अपनी योग्यता से। उन्हें देखिए, अपनी तुलना कीजिए। पर इस तुलना में ईष्या भाव न रखते हुए प्रेरणा ग्रहण करें। फिर देखिए, ये दिन भी गुजर जाएंगे।