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- रायपुर. 2025 छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष है और यह साल कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी बनते जा रहा है. राजधानी से लेकर दुरस्त अंचल तक छत्तीसगढ़ में इतिहास और रिकार्ड दोनों ही दर्ज किए जा रहे हैं. मसला चाहे फिर सरकारी एक्शन, रिएक्शन, सलेक्शन का हो…या फिर घोटाले-वोटाले, जांच-आंच करप्शन का. और इसी कड़ी में रजत जयंती वर्ष में ईडी-सीबीआई भी ऐतिहासिक रूप से इतिहास में दर्ज हो गया है. आप सोच रहे होंगे कैसे ?
रायपुर. 2025 छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष है और यह साल कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी बनते जा रहा है. राजधानी से लेकर दुरस्त अंचल तक छत्तीसगढ़ में इतिहास और रिकार्ड दोनों ही दर्ज किए जा रहे हैं. मसला चाहे फिर सरकारी एक्शन, रिएक्शन, सलेक्शन का हो…या फिर घोटाले-वोटाले, जांच-आंच करप्शन का. और इसी कड़ी में रजत जयंती वर्ष में ईडी-सीबीआई भी ऐतिहासिक रूप से इतिहास में दर्ज हो गया है. आप सोच रहे होंगे कैसे ?
दरअसल छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब एक ही समय पर 6 मामलों की जांच सीबीआई कर रही है. संभवतः देश में ऐसा और कहीं नहीं हो रहा है. प्रदेश में जिन 6 प्रमुख मामलों की जांच सीबीआई कर रही है उनमें- कथित सेक्स सीडी कांड, भुनेश्वर साहू हत्याकांड, महादेव सट्टा एप, कोयला, पीएससी, नान घोटाला शामिल हैं. शायद ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि कांग्रेस सरकार ने 5 वर्षों तक सीबीआई पर बैन लगाया था. 2023 में भाजपा की सरकार बनने के बाद सीबीआई से बैन हट गया है.
कथित सेक्स सीडी कांड और भुनेश्वर साहू हत्याकांड को छोड़कर अन्य सभी मामले सीधे तौर पर जनहित से जुड़े हैं. और इन सभी मामलों का आधार भ्रष्टाचार है. ऐसे में जनहित में सवाल यही है कि क्या भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल पाएगी ? क्या ईडी-सीबीआई जांच का असर राजनेताओं पर, सरकारों पर, अधिकारियों पर व्यापक रूप से पड़ेगा ? और क्या सीबीआई इन मामलों में किसी अंजाम या निष्कर्ष पर पहुंच पाएगी ? क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ सीबीआई ने जग्गी हत्याकांड, पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड और पत्रकार सुशील पाठक हत्याकांड की जांच की थी, लेकिन नतीजा कुछ निकला नहीं था. ऐसे में सवाल बहुत सारे हैं और इन सवालों का जवाब किसी और को नहीं हमें और आप को मिलकर ही ढूँढना होगा.
एक नजर उन सभी 6 बड़े मामलों पर…
महादेव सट्टा एप मामला
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला महादेव सट्टा एप से जुड़ा हुआ है. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित 21 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुआ उनमें- सट्टा एप के संचालक प्रमोटर रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी, पिंटू चंद्रभूषण वर्मा असीम दास, सतीश चंद्राकर, नीतीश दीवान, अनिल अग्रवाल, विकास, रोहित गुलाटी, विशाल आहूजा, धीरज अहूजा, अनिल, सुनील दमानी, सिपाही भीम सिंह यादव, हरिशंकर ट्रिब्लेवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी, पूर्व सीएम के OSD सहित कुछ नेता और पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में 26 मार्च को बघेल के निवास स्थानों सहित देश भर के साथ 60 स्थानों पर छापा मारा था. मामले की जांच जारी है.
कोयला घोटाला
छत्तीसगढ़ के बड़े घोटलों में से एक कोयला घोटाला भी है. इस मामले में सीबीआई ने भी जांच शुरू कर दी है. हालांकि घोटाला का केस पहले ईडी में दर्ज हुआ. ईडी ने इस मामले में दो आईएएस सहित कुछ अधिकारी और कारोबारी को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार सभी आरोपी अभी जेल में हैं. कोयला में 500 करोड़ से अधिक का लेवी वसूली का आरोप है. बीते दिनों इस मामले में भी सीबीआई की टीम बिलासपुर, रायगढ़, सरगुजा सहित कई स्थानों पर दबिश दी थी.
पीएससी भर्ती घोटाला
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली ही परीक्षा के साथ विवादित रहा राज्य लोक सेवा आयोग( पीएससी) का दामन लगातार दागदार ही रहा है. PSC के दामन में इस वक्त सबसे बड़ा दाग 2021 में आयोजित भर्ती परीक्षा घोटाला है. इस मामले में 2024 में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर जांच प्रारंभ की. सीबीआई ने नवंबर 2024 में पहली गिरफ्तारी आयोग के अध्यक्ष रहे टामन सोनवानी की थी. इसके बाद सीबीआई ने सोनवानी के भतीजे नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी, तत्कालीन उप नियंत्रक परीक्षा (सीजीपीएससी) ललित गणवीर, बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के निदेशक श्रवण कुमार गोयल, उनके बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार को गिरफ्तार किया था. इस पूरे मामले में आरोप है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी सहित अन्य पदों पर अपात्र उम्मीदवारों का चयन किया गया था. फिलहाल इस मामले में सीबीआई की जांच तेज है और कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है. सीबीआई ने खुलासा किया है कि करोड़ो-लाखों रुपये में चयन को लेकर डील होती और फिर महासमुंद के बार जंगल में पेपर सॉल्व किया जाता. सीबीआई ने 2020 से लेकर 22 तक की सभी भर्तियों को जांच के दायरे में रखा है.
नान घोटाला
छत्तीसगढ़ का नागरिक आपूर्ति निगम(नान) घोटाला बहुचर्चित रहा है. 2015 में ईओडब्लू-एसीबी के छापे के बाद हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था. इस मामले में तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था. इसमें कई अन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया था. कांग्रेस की सरकार आने के बाद दोनों ही अधिकारी जमानत पर रिहा हुए और बघेल सरकार में प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे. मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी वर्ष सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी. सीबीआई ने इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की है. यह एसीबी की FIR के आधार पर की गई है. इसमें बताया गया है कि यह प्रकरण अपराधिक षड्यंत्र, लोकसेवक द्वारा रिश्वत प्राप्त करना, निजी व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को रिश्वत देना, आपराधिक कदाचार, झूठे साक्ष्य गढ़ना,किसी व्यक्ति को झूठे साक्ष्य देने के लिए प्रेरित करना,लोक सेवक द्वारा निर्देशों की अवहेलना के मामले में है. इसमें वाट्सएप चैट से मिले साक्ष्य को भी आधार बनाया गया. सीबीआई ने मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला के साथ ही पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्राकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इन पर जाँच को प्रभावित करने का आरोप लगा है.
सेक्स सीडी कांड
छत्तीसगढ़ में कथित सेक्स सीडी कांड की सीबीआई जांच लंबे समय से चल रही है. लेकिन अभी तक किसी नतीजे पर सीबीआई नहीं पहुँच पाई है. इस मामले के आरोपी रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिला न्यायालय से बरी हो चुके हैं. लेकिन सीबीआई ने इस फैसले पर रिवीजन याचिका दाखिल की. मामले में अगली सुनवाई 7 मई को होगी. सीबीआई ने इस मामले में बघेल के राजनीतिक सलाहकार रहे विनोद वर्मा, कैलाश मुरारका, विजय भाटिया और विजय पंडया पर आरोप तय किए हैं.
भुनेश्वर साहू हत्यकांड
बेमेतरा जिला के बिरनपुर में घटित भुनेश्वर साहू हत्यकांड मामला भी सीबीआई के हाथों है. इस मामले की भी तहकीकात सीबीआई कर रही है.
वहीं छत्तीसगढ़ में शराब और डीएमएफ घोटाले पर ईडी की जांच और कार्रवाई लगातार जारी है. इन दोनों ही मामलों में कई अधिकारी गिरफ्तार कर जेल भेज जा चुके हैं.
अब सवाल ये है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों पर केंद्रीय एजेंसियाँ किसी ठोस नतीजे पर पहुँच पाती या नहीं यह देखना होगा. यह भी देखना होगा कि जिन पर आरोप लगे हैं अगर वें दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें किस तरह की और कितनी सख्त सजा होती है. देखना यह भी होगा कि इसका शासन-प्रशासन पर कोई ठोस असर हो रहा या नहीं.
क्योंकि नान से लेकर धान और सीडी से लेकर कोयला, शराब, सट्टा, पीएससी तक में हजारों करोड़ के करप्शन के खुलासे के बाद सिस्टम में सब कुछ बदल गया है ऐसा नहीं दिखता है. चर्चा आज भी जनमानस में यही है कि भ्रष्टाचार न रुका और न ही रुकेगा. बहुत से पत्रकार, राजनीतिक दल से जुड़े लोग, और कर्मचारी-अधिकारियों का यही मानना है कि कहीं-कहीं तो भ्रष्टाचार दो से तीन और चार गुना बढ़ गया है. बस ये है कि वो प्रत्यक्ष कहीं दिख नहीं रहा जैसे पूर्व में घटित घटनाओं में अभूतपूर्व रूप से सब दिखने लगा था.
कहते हैं सिस्टम में करप्शन भी सिस्टम से ही होता है. जिसने इस विधि को सीख लिया वो बच जाता है, और जो जल्दबाजी में आकर अत्याधिक लालच में आया वो फंस जाता है. इसे राज्य निर्माण के बीते 25 वर्षों के विकास अनुक्रम में देखा और समझा जा सकता है. राज्य का बजट जिस तरह से बीते 25 वर्षों में 60 गुना बढ़कर 5 हजार से डेढ़ लाख करोड़ तक पहुँचा है, ठीक वैसे ही राज्य में सिस्टम का करप्शन भी साल दर साल दोगुना-चौगुना होते हुए सौ गुना बना बढ़ा है.
ऐसे में जनहित में भ्रष्टाचार पर लगाम जरूरी है. और इस लगाम के लिए भ्रष्टचारियों को अंतिम अंजाम तक पहुँचाना जरूरी है. लेकिन यह तभी संभव है जब कथनी और करनी दोनों में एकरूपता हो. और ऐसा 2000 से लेकर 2025 तक की शासन व्यवस्था में पूर्णतः दिखा नहीं है. क्योंकि यहाँ तो हाथी के दाँत दिखाने और खाने के कुछ और वाली ही कहावत चरितार्थ होती रही है. फिलहाल मौजूदा सरकार ने भी भ्रष्टाचार से मुक्ति का नारा दिया है, जैसे की पूर्व की सरकारें भी देती रही हैं. और इस नारे के आसरे राज्य में इस समय सीबीआई हो या ईडी या फिर राज्य की अपनी खुद की जाँच एजेंसी ईओडब्लू-एसीबी सभी की ओर से ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है.
जनहित में उम्मीद है कि जांच एजेंसियाँ खुद पर लगने वाले आरोपों को गलत साबित करेंगी. पक्ष और विपक्ष की राजनीति से परे मजबूत-ठोस कार्रवाई में खुद को निष्पक्ष साबित करेंगी. सिस्टम के करप्शन को लेकर सरकार और अधिक सजग होगी. समाज भी भ्रष्टाचार को रोकने में अपनी भूमिका निभाएगा. और इसके लिए यह भी जरूरी है कि सर आँखों पर या कहिए सिस्टम में उन्हें कतई न बैठाएं जिन पर गंभीर आरोप लगे हो. जब तक भ्रष्टाचार के आरोपी, आरोपों से मुक्त न हो जाए उन्हें व्यवस्थाओं से दूर रखा जाना चाहिए. लेकिन पूर्व से लेकर वर्तमान तक में यह देखने को मिला जिन्हें जहां नहीं होना चाहिए वो वहां पहुंच जाता और दामन में दाग रह जाता है. दामन में लगने वाले इस दाग से बचना होगा. जनहित में भ्रष्टाचर से मुक्ति की युक्ति का ध्यान, गंभीरता के साथ ध्यानपूर्वक रखना होगा.
लेखक
राजनीतिक संपादक हैं
930148905
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