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हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने सरकार को दिया झटका! जमीन अधिग्रहण के लिए इस नियम का पालन है जरूरी
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बहुचर्चित नवा रायपुर प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए किसानों के हित में निर्णय लिया है. कोर्ट ने कहा है कि नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) को भूमि अधिग्रहण के लिए नए कानून के तहत किसानों से पुनः समझौता करना होगा. अब 75 प्रतिशत भू-स्वामी किसानों की सहमति पर ही भूमि अधिग्रहण किया जा सकेगा.
ये है मामला
प्रदेश सरकार के ने राज्य के विकास के लिए नवा रायपुर विकास प्राधिकरण प्रोजेक्ट को महत्वपूर्ण परियोजना बताया है . इस परियोजना के तहत नया राजधानी को विकसित किया जाना था. जिसके लिए बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था.
जिस कारण सरकार और भू स्वामी किसानों के बीच मामला हाई कोर्ट पहुंचा . जिसपर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि एनआरडीए को भूमि अधिग्रहण के लिए नए कानून के प्रावधानों का पालन करना होगा.
जिससे सरकार को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा किसानों से सहमति प्राप्त करना भी एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है.
क्या है नया कानून?
कोर्ट के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के लिए 2013 में पारित नए कानून के तहत 75 प्रतिशत विस्थापित हो रहे किसानों की सहमति अनिवार्य है. यदि इतनी संख्या में किसान सहमत नहीं होते, तो सरकार परियोजना को आगे नहीं बढ़ा सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि पुराने भू अर्जन अधिनियम के तहत शुरू की गई प्रक्रियाओं पर भी नए कानून का प्रभाव पड़ेगा. धारा 6 का प्रकाशन 1 जनवरी 2014 से पहले किया गया था, इसलिए भू अर्जन अवार्ड एक वर्ष के भीतर ही करना था. इस समय सीमा के बाद किया गया भू अर्जन अवार्ड शून्य माना जाएगा. मामले की सुनवाई में नए कानून के तहत अब एनआरडीए को नए कानून का पालन करना होगा.