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अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया

2 years ago
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रायपुर, 16 जुलाई  2023/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को छत्तीसगढ़ के कलाकारों संग भेंट-मुलाकात की। उन्होंने कार्यक्रम में पद्मश्री पुरुस्कार विजेता, राज्य पुरुस्कार विजेता, लोक कलाकार, टेक्नीशियन और निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कर विभिन्न मुददों पर चर्चा की।

इसके बाद भूपेश बघेल बघेल ने हरेली तिहार की बधाई देते हुए कहा कि आया हूं तो आप सबके साथ सेल्फी खिचवाऊंगा और कई कलाकारों से मोबाइल लेकर सीएम ने खुद सेल्फी ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के सांस्कृतिक एवं पारंपरिक धरोहरों को बचाने और संवारने में कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने पूरब से पश्चिम तक जोड़ने का काम किया है।

मुख्यमंत्री ने नाचा के पुरोधा हबीब तनवीर, चन्दैनी गोंदा के संस्थापक खुमान साव को याद करते हुए उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा लोक कला के जरिए इन्होंने छत्तीसगढ़ को विशेष पहचान दिलाई है। इस मौके पर पद्मश्री कलाकारों में पद्मश्री भारती बंधु, मदन चौहान, उषा बारले, निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा, सतीश जैन, रजनी रजक समेत प्रदेशभर के कलाकार उपस्थित थे।

अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आगे कहा कि कलाकार जब अपनी प्रस्तुति देते हैं तो वह समाज की जनभावना को रेखांकित और प्रस्तुति के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। सीएम कहा कि लोक विधा कर्मा के अनेकों शैलियां प्रचलित हैं, अनेक विधाओं में नई शैलियां कलाकारों ने निकाली हैं। छत्तीसगढ़ में गायी जाने वाली पंडवानी पूरे देश में नहीं गायी जाती। भरथरी, पंथी जैसी विधाओं को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने का काम हमारे छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की खानपान, हमारी बोली भाखा, संगीत, गीत, नृत्यशैली सबको उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक जोड़ने का काम कलाकारों ने किया है। जब एक दौर था, जिसमें नाचा मशाल जलाकर किया जाता था। फिर माईक सेट का दौर आया। उन्होंने कहा कि रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। राम वन गमन परिपथ को विकसित करने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के हर विकासखंड मुख्यालय में मॉडल जैतखाम बनाने की बात दोहराई है।

‘मेरा बचपन कलाकारों से जुड़ा रहा’

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में अपने बचपन से जुड़े अपने अनुभव भी सुनाए। उन्होंने कहा कि मेरा बचपन कलाकारों से जुड़ा रहा, लोक कला के ज्यादातर विधाओं का प्रभाव मेरे जीवन में पड़ा। छत्तीसगढ़ की पहले जब चर्चा होती थी तो नक्सल घटना, जवानों की शहादत की खबरें आती थी। अब यहां की संस्कृति और परंपरा की चर्चा होती है।

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