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भूपेश बघेल ने झीरम घटना में NIA की जांच पर उठाया सवाल; बोले- नक्सली रमन्ना, गणपति का नाम FIR से क्यों हटाया

2 years ago
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9 साल बाद भी झीरमघाटी के शहीदों को न्याय नहीं मिल पाया, इसका हमे दुख  है:सीएम भूपेश बघेल | We are sorry that the martyrs of Jhiram Ghati have not  got justice:

जगदलपुर, 25 मई 2023/  झीरम हमले की 10वीं बरसी पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बस्तर में हैं। पीड़ित परिवार से मुलाकात के दौरान वो भावुक हो गए। भूपेश बघेल से मिलकर महिलाएं भी भावुक हो गईं। आज भी उनके जहन में वो जख्म वैसे ही जिंदा है।

भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार पर एफआईआर से खूंखार नक्सलियों के नाम हटाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, विषय बहुत गंभीर है लेकिन जिस हल्के ढंग से बीजेपी इस पर सवाल कर रही है वो दुर्भाग्यजनक है। झीरम हमले से पूरा देश दहल गया था। विश्व राजनीति के इतिहास में इतने बड़े राजनेताओं का एक साथ नरसंहार पहली बार हुआ था।

केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप

नक्सलियों का काम दहशत फैलाना नहीं था। बल्कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को रोकना था। यह पूरा राजनीतिक षड्यंत्र था। मुकेश गुप्ता को नोडल अधिकारी बनाया गया था। लेकिन, कोई भी NIA को सहयोग नहीं कर रहा था। उस समय नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने कहा था केंद्र में सरकार बनते ही 15 दिन के अंदर इस मामले की जांच करेंगे। और अपराधियों को जेल के पीछे भेजा जाएगा।
2. NIA, 10 साल में अपराधियों को पकड़ नहीं पाई
साल 2018 में छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार बनी। हमने SIT गठित की। हमने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और NIA को पत्र लिखकर कहा था, यदि आपकी जांच पूरी हो गई हो तो हमें दे दीजिए। हमारी SIT भी जांच करेगी। लेकिन उन्होंने नहीं दिया। हम सब को पता है इस वारदात से किसको लाभ मिला है। इस हमले में जो लोग बचे थे उनसे NIA ने बात तक नहीं की। उनका बयान तक नहीं लिया गया। NIA, पिछले 10 साल में अपराधियों को पकड़ नहीं पाई।

रमन्ना और गणपति का नाम FIR से क्यों हटाया ?
शहीदों के परिवार की आंखें मुझसे पूछ रही हैं कि, हमें न्याय कब मिलेगा। केंद्र सरकार जांच को टालना चाह रही है। आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। रमन्ना और गणपति का नाम FIR से किसके कहने पर हटाया गया? आखिर क्यों इन्हें बचाया जा रहा है। यदि ये लोग पकड़े जाते तो सच्चाई सामने आती। पता चलता इस हमले के पीछे आखिर किसका हाथ है?

आज नहीं तो कल सच्चाई सामने आएगी…
केंद्र सरकार न खुद जांच कर रही है। और न ही हमें जांच करने दे रही है। सिर्फ षड्यंत्रकारियों को बचाने का काम किया जा रहा है। आज नहीं तो कल सच्चाई सामने आएगी। केंद्र में हमारी सरकार बनेगी। फिर इस जांच में गति आएगी। फिर बहुत जल्द अपराधियों को उनके स्थान पर पहुंचाया जाएगा।

भूपेश बघेल ने NIA की जांच पर उठाया सवाल, 4 पॉइंट में पढ़िए…

राज्य सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। NIA की जांच शुरू हुई और उस समय जो एफआईआर किया गया उसमें व्यापक षड्यंत्र हुआ। साल 2014 अगस्त तक उस एफआईआर में नक्सली रमन्ना और गणपति के नाम का उल्लेख था। जिसमें उनकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश था। थोड़ी सम्पत्ति कुर्क भी की गई बाकी छोड़ दिया गया।

सितम्बर 2014 में एनआईए ने जब कोर्ट में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की, तब आश्चर्यजनक ढंग से रमन्ना और गणपति का नाम उसमें नहीं था। फाइनल रिपोर्ट में भी उनके नाम शामिल नहीं थे। सीएम ने तल्ख तरीके से सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी की मोदी सरकार ने रमन्ना और गणपति को क्यों बचाया, उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई और एफआईआर में अगर किसी अपराधी का नाम दर्ज हो गया तो वो हटता नहीं है। बीजेपी बताए कि नाम क्यों हटाया और उन्हें क्यों बचाना चाहती है।

जांच के लिए जो आयोग गठित किया गया उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को न देकर सीधे राज्यपाल को दिया गया। और इसके बाद कांग्रेस ने भी एक जांच आयोग का गठन किया। जिसको रोकने के लिए धरमलाल कौशिक ने स्टे लगाया। ये जांच में रुकावट डाल रहे हैं। ये वही धरमलाल कौशिक हैं जो नान घोटाले में भी स्टे लेकर बैठे हैं, रमन सिंह के खास धरमलाल हर मामले में स्टे लेने जाते हैं। हम जांच के लिए एसआईटी बनाते हैं तब एनआईए स्टे ले लेती है।

व्यापक षड्यंत्र पर जांच चल रही थी जैसे ही यूपीए की सरकार हटी और एनडीए की सरकार आई, मोदी प्रधानमंत्री बने, तब इसे दण्डकारण्य कमेटी की घटना मानकर जांच खत्म कर दिया। बीजेपी जांच में बाधा उत्पन्न कर रही है। जांच आगे बढ़ नहीं रही है और हमें जांच करने नहीं दे रहे हैं। आखिर किसके कहने पर एनआईए के अधिकारियों ने गणपति और रमन्ना का नाम हटाया, इसका जवाब दे बीजेपी। जिस दिन केंद्र में हमारी सरकार बनेगी उस दिन सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

 

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