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छत्तीसगढ़ के 33 जिलों वाला नया मैप तैयार, 5 नए जिले बनने से पड़ोसी राज्यों की सीमा में अब 22 जिले
रायपुर, 20 अक्टूबर 2022/ छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक कसावट मजबूत करने के लिए पिछले महीने 5 नए जिले बनाए गए हैं. वहीं अब राज्य में जिलों की संख्या 28 से 33 हो गई है. इससे अब राज्य का मैप भी बदल दिया गया है. भौगोलिक स्वरूप में नई रेखाएं खींची गई हैं. छत्तीसगढ़ के नए मैप की आधिकारिक तस्वीर भी अब सामने आ गई है. इसमें मूल जिले से अलग हुए नए जिलों के बॉर्डर निर्धारित कर दिए गए हैं.
4 साल में 6 नए जिले
दरअसल, बीते 4 साल में 6 नए जिले और 77 तहसील बनाए गए हैं. नवगठित सभी छह जिलों में कामकाज की शुरूआत हो चुकी है. इन जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक पदस्थ किए जा चुके हैं. अन्य विभागों के जिला अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है. नये जिले के अस्तित्व में आने के बाद लोगों को राजस्व प्रशासन के साथ जिले में सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है.
अब 22 जिले लगेंगे पड़ोसी राज्यों से
दुर्ग संभाग में राजनांदगांव जिले से दो नए जिले बनाए गए हैं. उत्तर राजनांदगांव को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और दक्षिण राजनांदगांव को मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिला बनाया गया है. इससे महाराष्ट्र की सीमा मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी से लगेंगी. इसके साथ अब 7 पड़ोसी राज्यों से सीमा बनाने वाले जिलों की संख्या 22 हो गई है. ये संख्या पहले 18 थी.
4 साल में 27 से 33 हो गए जिलों की संख्या
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ भौगोलिक दृष्टि से देश का नवां बड़ा राज्य है. एक नवंबर 2000 को गठित इस राज्य में शुरू में 16 जिले थे. प्रशासनिक आवश्यकता को देखते हुए यहां साल 2007 में 2 नए जिले नारायणपुर व बीजापुर का गठन किया गया. इसी प्रकार एक जनवरी 2012 को 9 नये जिले सुकमा, कोंडागांव, बालोद, बेमेतरा, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज बनाए गए. इसके बाद 10 फरवरी को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का उद्घाटन किया गया. इस साल सितंबर में पांच और नए जिले बनाए गए इनमें मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई है.
इन तारीखों पर हुआ नये जिलों का उद्घाटन
10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले की औपचारिक शुरुआत हुई। इस साल दो सितम्बर को मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी का उद्घाटन हुआ। तीन सितम्बर को सारंगढ़-बिलाईगढ़ और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिलों की शुरुआत हुई। वहीं 9 सितम्बर को मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और सक्ती जिले का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वहां पहुंचे थे। सभी नये जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक पदस्थ किए जा चुके हैं। अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है। लोगों को राजस्व प्रशासन के साथ जिले में कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो चुका है।
प्रशासनिक पुनर्गठन के पीछे नागरिक सुविधा और राजनीति दोनों
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि नये जिलों और तहसीलों का पुनर्गठन प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के लिये किया गया है। ऐसा इसलिए ताकि प्रशासन लोगों के करीब पहुंचे। दूर-दराज के लोगों को जिला और तहसील मुख्यालय आने में तकलीफ न उठाना पड़े। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का कहना है, प्रशासनिक विकेंद्रीकरण से जनसुविधा में वृद्धि होगी और विकास की गति तेज होगी। इस पुनर्गठन के पीछे राजनीति भी बड़ी वजह है। इन क्षेत्रों में जिला गठन की पुरानी मांग को सरकार ने आकार देकर लोकप्रियता हासिल करने की भी कोशिश की है।
पिछले तीन सालों में ऐसे बढ़े अनुविभाग
इस सरकार ने वर्ष 2020 में दंतेवाड़ा जिले में बड़े बचेली और बिलासपुर जिले के तखतपुर को अनुविभाग बनाया। वर्ष 2021 में कोरबा जिले के पाली, बस्तर में लोहाण्डीगुड़ा को अनुविभाग बनाया गया। वहीं वर्ष 2022 में मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भरतपुर, खड़गवां को नया अनुविभाग बनाया गया हैं। सूरजपुर जिले में भैयाथान, बलरामपुर-रामानुगंज जिले में बलरामपुर और राजपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में मरवाही, सक्ती जिले में मालखरोदा, रायपुर जिले में तिल्दा-नेवरा को नया अनुविभाग बनाया गया। उसके अलावा महासमुंद जिले में बागबाहरा, गरियाबंद जिले में मैनपुर, दुर्ग जिले में धमधा, कबीरधाम जिले में सहसपुर-लोहारा, बस्तर जिले में तोकापाल, बीजापुर जिले में भोपालपट्टनम और भैरमगढ़ में अनुविभाग का गठन किया गया है।