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इस साल भी रोका-छेका, कलेक्टरों को 20 जून तक बैठक कर व्यवस्था बनाने का निर्देश

3 years ago
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Every Gauthan will get 40 thousand rupees in Roka- Chheka scheme | रोका-  छेका के लिए हर गौठान को मिलेंगे 40 हजार रुपए, फसलों की सुरक्षा के साथ  बढ़ेगा किसानों की आय | Patrika News

 

रायपुर, 08 जून 2022/   छत्तीसगढ़ में इस साल भी धान की बुवाई शुरू होने से पहले रोका-छेका शुरू होगा। यह गांवों की एक पारंपरिक व्यवस्था रही है, जिसमें ग्रामीण धान को चराई से बचाने के लिए मवेशियों को घरों में बांधने पर जोर देते थे। सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से कहा है, वे 20 जून तक गांवों में बैठक कर व्यवस्था ठीक कर लें।

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को इसके लिए व्यापक निर्देश भेजे हैं। कहा गया है, 20 जून तक ग्राम पंचायत स्तर पर व्यवस्था कर लें। इसमें छत्तीसगढ़ की रोका-छेका प्रथा के अनुरूप गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रख-रखाव की उचित व्यवस्था करने, पशुपालकों और किसानों को अपने पशुओं को घरों में बांधकर रखने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ गांवों में पहटिया (चरवाहा) की व्यवस्था करना भी शामिल है।

कहा गया है, रोका-छेका’’ प्रथा अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव की उचित व्यवस्था हेतु गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाए। ऐसे गौठान जो सक्रिय नहीं दिख रहे हों, वहां आवश्यकतानुसार जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से समिति में संशोधन कर सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। गौठानों में पशु चिकित्सा तथा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कराने को भी कहा गया है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने वर्षा के मौसम में गौठानों में पशुओं के सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंध करने, जल भराव की समस्या दूर करने के लिये गौठानों में जल निकास की समुचित व्यवस्था की जाए तथा गौठान परिसर में पशुओं के बैठने हेतु कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया है। सरकारी तौर पर रोका-छेका का यहा लगातार दूसरा वर्ष होगा। पिछले साल भी सरकार ने इस तरह से रोका-छेका की व्यवस्था की थी।

30 जुलाई से पहले चारागाह बनाने को भी कहा गया

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गौठान में पर्याप्त चारा, पैरा आदि की व्यवस्था करने को भी निर्देशित किया है। इसके अलावा ग्रीष्मकालीन धान की फसल के पैरादान हेतु कृषको को प्रेरित करने, सभी गौठानों में 30 जुलाई से पहले चारागाह की स्थापना कर चारा उत्पादन कराने के निर्देश दिए गए हैं।

गांव की बैठकों में यह होना है

कृषि उत्पादन आयुक्त की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है, विगत वर्ष के भांति इस वर्ष भी रोका-छेका प्रथा के अनुसार सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए 20 जून तक ग्राम स्तर पर सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणजन की बैठक आयोजित की जाए। जिसमें पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव का निर्णय ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों के द्वारा लिया जाए। फसल को चराई से बचाने हेतु पशुओं को गौठान में नियमित रूप से लाये जाने के संबंध में प्रत्येक गौठान ग्राम में मुनादी करायी जाए।

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