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खेतीबाड़ी की तरक्की के लिए किसानों तक ”इंदिरा” बीज पहुंचाएगी सरकार, जानें धान की प्रमुख नई किस्मों की खासियत
रायपुर, 17 मई 2022/ वर्षों पुराने बीज से धान या अन्य फसलों की खेती कर रहे किसानों तक उन्न्त बीज पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने कार्ययोजना बनाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों के जरिए गांव-गांव के किसानों के लिए संगोष्ठी आयोजित कर नई किस्मों से अवगत कराया जाएगा। पहली बार कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विभाग संयुक्त रूप से किसानों तक पहुंचेगा और इंदिरा बांड के तहत बीज किसानों को सस्ते दाम में उपलब्ध करवाएगा। कृषि विश्वविद्यालय ने जिन नई किस्मों को विकसित किया है, उन्हें इंदिरा सीड के रूप में ब्रांड नाम दिया गया है। जुलाई में किसान सबसे अधिक धान की बोआई करते हैं। इसके पहले किसानों तक उन्न्त बीजों की जानकारी पहुंचाने की तैयारी है।
कृषि विज्ञानियों के अनुसार म्यूटेंट किस्म के धान के नए बीज ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेंट-एक, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाठी म्यूटेंट, विक्रम टीसीआर, छत्तीसगढ़ जवाफूल, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट, छत्तीसगढ़ धान 1919 और छत्तीसगढ़ देवभोग शामिल हैं। ये सभी अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं। इनमें रोग भी नहीं लगगे। ऐसे में ये किसानों के हित में हैं। कृषि विश्वविद्यालय ने धान की ऐसी 23 हजार 250 परंपरागत किस्मों के जनन द्रव्य का संग्रहण किया है। उनसे उन्न्त किस्मों को विकसित करने के लिए निरंतर अनुसंधान चल रहा है।
जानें धान की प्रमुख नई किस्मों की खासियत
ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट: विलुप्प्राय विष्णुभोग सुगंधित धान की नई किस्म है। विज्ञानियों ने इसके पौधों की ऊंचाई पहले की तुलना में एक तिहाई कर दी है। पहले इसके पौधों की ऊंचाई 175 सेंटीमीटर थी। अब इसकी ऊंचाई 110 से 115 सेंटीमीटर तक है। बीस क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन बढ़कर अब 40 से 45 क्विंटल तक पहुंच गया है।
छत्तीसगढ़ धान 1919
इस किस्म के पकने की अवधि 130-135 दिन है जो कि इंदिरा सुगंधित धान एक और दुबराज सेलेक्शन एक की तुलना में क्रमश: 34.8 प्रतिशत और 35.9 प्रतिशत अधिक उपज देता है। इस किस्म में 60 प्रतिशत दाना निकलता है और एमाइलेज की मात्रा 21.73 प्रतिशत पाई जाती है। उपज क्षमता 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
सीजी तेजस्वी धान
इसके पकने की अवधि 125-130 दिन है और पौधे की ऊंचाई 110 से 115 सेमी है, जो कि मध्यम दाने वाली किस्म है। यह किस्म झुलसा रोग, शील गलन, नेक ब्लास्ट के लिए मध्यम प्रतिरोधक है। इसकी उपज क्षमता 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाठी म्यूटेंट
इसके नए किस्म का धान मध्यम मोटा है। पौधे की ऊंचाई 110-115 सेंटीमीटर है। पहले इसकी ऊंचाई 150 सेंटीमीटर थी। नई किस्म 135-140 दिन में पकती है। पहले पकने का समय 160 दिन था। नई किस्म की उपज क्षमता 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो कि परंपरागत सोनागाठी से 18 प्रतिशत अधिक है।
प्रमाणित बीज विकसित करने में लगता है इतना समय
कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में रिसर्च डिपार्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डा. विवेक त्रिपाठी बताते हैं कि नई किस्मों को विकसित करने में आठ से 10 साल लगता है। इसके बाद कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र में इसका प्रयोग करते हैं। नई किस्म की जानकारी भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद को देते हैं। इसके बाद चार से अधिक राज्यों में फसल लगाते हैं। प्रमाणित हो जाने पर इसे पहले राज्य बीज उप समिति पास करती है। इसके बाद राष्ट्रीय बीज समिति पास करती है। इसके बाद यह बीज चयन के स्तर पर आता है। नाभिकीय बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज और इसके बाद प्रमाणित बीज होने पर यह किसानों को दिया जाता है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डा. गिरीश चंदेल ने कहा, धान की नई किस्मों के साथ-साथ अन्य फसलों में जैसे चना, सोयाबीन, मक्का, अलसी आदि की किस्मों को भी किसानों तक पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन के आयुक्त डा. कमलप्रीत सिंह ने कहा, परंपरागत बीजों की जगह किसान उन्न्त बीजों का इस्तेमाल करें। इसके लिए गांव-गांव प्रचार-प्रसार के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों को निर्देश दिया गया है। यहां संगोष्ठियां आयोजित कर किसानों को नई किस्मों से अवगत कराएंगे।