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छत्तीसगढ़ का जंगल बचाने 12 राज्यों में प्रदर्शन, दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर लगे ‘SAVE हसदेव’ के नारे,आधी रात काटे गए सैकड़ों पेड़

रायपुर, 05 मई 2022/ छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने की मांग देश भर में फैल गई है। बुधवार को इस जंगल में पेड़ों की कटाई रोकने की मांग को लेकर देश के कई शहरों में प्रदर्शन हुए हैं। दिल्ली में सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कांग्रेस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर “सेव हसदेव’ के नारे लगाए।
विभिन्न कोयला परियोजनाओं की वजह से संकट में पड़े हसदेव नदी, जंगल और वहां के गांवों को बचाने के लिए स्थानीय लोग पिछले 65 दिनों से धरने पर बैठे हैं। हसदेव के ग्रामीणों ने 2 मई को हसदेव के जंगलों को बचाने के लिए राष्ट्रीय प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। इसको कई प्रदेशों से जनसमर्थन मिला है। देश के 12 राज्यों में हसदेव के जंगलों को बचाने के लिए युवा, महिला, मजदूर और किसान संगठनों ने पोस्टर अभियान चला कर हसदेव के आंदोलन का समर्थन किया। दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय- 26-अकबर रोड के सामने हसदेव के समर्थन में विभिन्न संगठनों से जुड़े आदिवासी और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। इस दौरान उन लोगों ने हाथ में जंगलों के बचाने और कोयले के लिए आदिवाासियों को न उजाड़ने की अपील करते हुए पोस्टर और तख्तियां भी ले रखा था। प्रदर्शनकारियों ने वहां जंगल और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण से जुड़े गीत भी गाए।
झारखंड से खूंटी और मरहू के ग्रामीणों ने भी हसदेव को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन को समर्थन दिया। ओडिशा के धिनकिया, छत्तीसगढ़ किसान सभा कोरबा, महाराष्ट्र में अरावली बचाओ श्रमजीवी संगठन मराठवाडा, लातूर वाराणसी में मनरेगा मजदूर यूनियन, प्रयागपुर और जौनपुर में प्रदर्शन किया गया। चेन्नई क्लाइमेट एक्शन ग्रुप, आदिवासी चेतना संगठन, ढेंकनाल, एनएपीएम दिल्ली, सेव मोल्लेम, गोवा, ह्युमन राइट्स मॉनिटरिंग फोरम एवं इनिशिएटिव फाउंडेशन, झारखंड और गांधी पार्क फैजाबाद जैसे संगठनों ने भी हसदेव के समर्थन में आवाज उठाई।
छत्तीसगढ़ के कई शहरों में प्रदर्शन हुए
छत्तीसगढ़ के कई शहरों में हसदेव के जंगलों को काटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। रायपुर में अंबेडकर चौक पर प्रदर्शन हुआ। यहां जिला किसान संघ राजनांदगांव, आम आदमी पार्टी, स्थानीय युवाओं एवं समाजसेवी और कलाकार भी हसदेव के समर्थन में एकजुट हुए। कांकेर में सर्व आदिवासी के युवाओं ने और बलौदा बाजार से दलित महिला आदिवासी मोर्चा की महिला कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है।
सरकार से नो गो एरिया घोषित करने की मांग
हसदेव के जंगलों के लिए संघर्ष कर रहे संगठनों से बने छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक मंडल सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा, इस जन भागीदारी से हसदेव के आंदोलन को एक बड़ी सफलता मिली है। आज पूरा देश हमारे आंदोलन में साथ खड़ा है। हम केंद्र और राज्य सरकार से पुनः अपनी मांगो पर जल्द संज्ञान लेने और हसदेव के समृद्ध जंगल को खनन मुक्त कर संरक्षित क्षेत्र घोषित करने हेतु आग्रह करते हैं। जब तक हमारी सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक आन्दोलन और व्यापक तरीके से आगे बढ़ाएंगे।
हसदेव अरण्य का मामला क्या है
हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के कई जिलों में फैला हुआ जंगल है। यह हसदेव, मांड सहित कई नदियों का उदग्म स्थल और वन्य प्राणियों का समृद्ध रहवास है। इस क्षेत्र में कई कोल ब्लॉक हैं। सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की कोयला खदान को यहां खनन की मंजूरी दी है। इसमें 841 हेक्टेयर का जंगल उजाड़ा जाना है। करीब 700 ग्रामीण परिवारों को भी विस्थापित होना पड़ेगा। तीन प्रभावित गांवाें के लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने फर्जी ग्रामसभा का प्रस्ताव लगाकर यह स्वीकृति हासिल की है। इधर प्रशासन ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाई है।
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