बरसाने में लट्ठमार होली की धूम, यहां जानें महत्व और इतिहास
11 मार्च 2022/ रंगों का त्योहार होली (Holi) यूं तो पूरे देश में काफी आनंदपूर्वक मनाई जाती है। भारत पूरी दुनिया में अपने त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। होली का त्योहार देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित है। लेकिन होली की बात हो और उत्तर प्रदेश का जिक्र ना हो तो होली का त्योहार अधूरा माना जाएगा। जी हां! उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होली बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां हर जगह होली का अलग-अलग महत्व है, इसलिए सभी जगह अलग तरीके से होली खेली जाती है।
वहीं मथुरा से लगभग 42 किमी की दूरी पर स्थित छोटा सा शहर बरसाना होली मनाने के अपने विशिष्ट तरीके के लिए जाना जाता है। यहां हर साल लट्ठमार होली खेली जाती है, जिसका अपना अलग ही महत्व है। भगवान कृष्ण की प्रिय राधा के जन्म स्थान बरसाना में हर साल होली मनाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक भी आते हैं।
बरसाने की लट्ठमार होली का महत्व
दरअसल कहते हैं कि श्री कृष्ण और उनके मित्र द्वापर युग में होली खेलने बरसाना जाते थे। और वहां राधा जी और बाकी गोपियों को काफी परेशान किया करते थे जिस कारण राधा जी और सभी गोपियां डंडा लेकर श्रीकृष्ण और ग्वालों के पीछे दौड़ती थीं। इसलिए जब कृष्णजी अपने मित्रों के साथ बरसाना आते थे तो उनका स्वागत रंग और डंडों से किया जाता था। तब से ही यहां लट्ठमार होली खेलने की परंपरा है। पूरी दुनिया में यहां की लट्ठमार होली की धूम मची रहती है। लोग जमकर इस लट्ठमार होली का लुत्फ उठाते हैं। सैलानी भी इस होली में शरीक होते हैं और इस होली को जमकर खेलते हैं।
इसलिए आज भी यहां कि महिलाएं पुरुषों के साथ बांस के डंडों और रंग से होली खेलती हैं। बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेली जाती है। वहीं नंद गाव में दशमी को होली मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं पुरुषों का लट्ठ और गुलाल से स्वागत करती हैं। इसके साथ ही 11 मार्च को बरसाने में लट्ठमार होली खेली जा रही है।