सूरज की तेज़ रोशनी आंखों के हर हिस्से को प्रभावित करती है, बचाव के लिए ये तरीके अपनाएं
06/03/2022/ त्वचा की तरह आंखों को भी धूप से सुरक्षा की ज़रूरत होती है। यूवी विकिरण, चाहे सूर्य के प्रकाश से हों या कृत्रिम उपकरणों से निकलने वाली किरणों से, ये आंख की सतह के ऊतकों के साथ-साथ कॉर्निया और लेंस को भी हानि पहुंचा सकते हैं। लिहाज़ा, बचाव की जानकारी अनिवार्य है।
नज़र धुंधली हो सकती है
धूप से फोटोकेराटाइटिस हो सकती है, जिसमें आंखों में लालिमा, नज़र में धुंधलापन, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और आंखों में हल्का दर्द हो सकता है। दोपहर के वक़्त सूरज की रोशनी सबसे तेज़ होती है जो कॉर्निया को नुकसान पहुंचा सकती है। ऊंचाई पर पराबैंगनी किरणें बर्फ से परावर्तित होकर आंखों को नुकसान पहुंचाती हैं। रेत की सतह पर पड़ने वाली पराबैंगनी किरणें भी कॉर्निया को प्रभावित कर सकती हैं।
त्वचा की सेहत पर असर
ऑक्युलर स्किन कैंसर जो कि कैंसर का एक प्रकार है, आंखों से ही शुरू होता है। यूवी किरणें त्वचा में मेलानिन का स्तर बढ़ा देती हैं, जिससे त्वचा का रंग गहरा होने लगता है। यह कालापन स्किन कैंसर की भी वजह बन सकता है। धूप का चश्मा पहनकर इससे बच सकते हैं।
लेंस में रोग पैदा करता है
धूप के दुष्प्रभाव में मोतियाबिंद भी शामिल है। अधिकांशत: मोतियाबिंद बुढ़ापे के परिणामस्वरूप होता है पर सूरज की घातक यूवी किरणों से यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी हो सकती है। इसमें आंखों का लेंस धुंधला हो जाता है। देर तक धूप में रहने से कोर्टियल कैटरेक्ट का जोखिम दोगुना हो जाता है। हालांकि मोतियाबिंद और आंखों के कैंसर को विकसित होने में वर्षों लग सकते हैं।
आंखों के सफ़ेद भाग और पुतली पर असर
लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने के कारण टेरिजियम हो सकता है, जिसे नाखूना भी कहते हैं। यह आंखों के सफेद हिस्से और पुतली को प्रभावित करता है। इसमें आंखों में धीरे-धीरे सफ़ेदी वाली संरचना फीकी पड़ जाती है। आमतौर पर यह समस्या दोपहर के वक़्त सूर्य की किरणों के बीच लंबा समय बिताने से होती है।
किरणों से अंधेपन का जोखिम
यूवी प्रकाश के दीर्घावधिक संपर्क से मैकुलर डिजनरेशन होने का ख़तरा रहता है, जो रेटिना को नुकसान पहुंचाता है और उम्र से संबंधित अंधेपन का प्रमुख कारण भी है।
आंखों को धूप से ऐसे बचाएं
हमेशा 100 फीसदी यूवी या यूवी-400 सुरक्षा देने वाला धूप का चश्मा पहनें। चश्मे का आकार बड़ा हो और अच्छी गुणवत्ता का हो इसका ध्यान रखें।
हल्के रंग का चश्मा धूप से आंखों का बचाव ठीक से नहीं कर पाता। न्यूट्रल ग्रे, एंबर, भूरे और हरे रंगों वाले सनग्लासेज़ का चयन करना उचित है।
चश्मे के साथ चौड़ी टोपी भी पहनें ताकि आंखों के आसपास का हिस्सा धूप से बचाया जा सके।
कभी भी सीधे सूर्य की ओर न देखें। ग्रहण के दौरान सूरज को सीधे देखना आंखों के रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है।
फोटोक्रोमेटिक लेंस पहनें, जो सूरज की रोशनी में अपने आप काले पड़ जाते हैं। अधिक सुरक्षा के लिए रैपराउंड फ्रेम वाला धूप का चश्मा पहनें क्योंकि यह नियमित फ्रेम की तुलना में सूरज के अधिक प्रकाश को रोकता है।
सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से बचें।