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जानिए क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट, महंगाई पर क्या होता है इनका असर

3 years ago
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RBI MPC Meeting: जानिए क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट, महंगाई पर क्या होता है इनका असर

08 फरवरी 2022/ आज से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की महत्वपूर्ण मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक शुरू हो गई है. 10 फरवरी को गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिए गए फैसले के बारे में जानकारी दी जाएगी. इस बैठक में सबकी निगाहें रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर है. पहले जानते हैं कि ये दोनों क्या होते हैं और इनका फाइनेंशियल सिस्टम पर किस तरह असर होता है. रेपो रेट वह इंट्रेस्ट रेट होता है जिस दर पर कमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से उधार लेते हैं. रिवर्स रेपो रेट वह इंट्रेस्ट रेट होता है जिस दर पर रिजर्व बैंक बैंकों से पैसा वापस लेता है. बता दें कि रेपो रेट पर बैंक को लोन तो मिलता है लेकिन उसे सिक्यॉरिटीज जमा करनी होती है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट की मदद से फाइनेंशियल सिस्टम में लिक्विडिटी कंट्रोल करता है. इसके अलावा महंगाई दर पर लगाम कसने में भी मदद मिलती है. महंगाई को ध्यान में रखते हुए आरबीआई रेपो रेट को बढ़ाने या घटाने का फैसला करता है. रेपो रेट ज्यादा होने पर बैंकों को ऊंची दरों पर लोन मिलता है. इसके कारण वे ऊंची दरों पर लोन बांटते भी हैं. अगर रेपो रेट कम होगा तो बैंकों को सस्ती दरों पर रिजर्व बैंक के कर्ज मिलेगा. बदले में वे सस्ती दरों पर कर्ज भी बाटेंगे.

लोन सस्ता होने से आर्थिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं

जब इंट्रेस्ट रेट घट जाता है तो इकोनॉमी में लिक्विडिटी बढ़ जाती है. इसके कारण लोगों के हाथों में ज्यादा पैसे होते हैं. इससे खरीदने की क्षमता बढ़ जाती है और मांग बढ़ने के कारण महंगाई बढ़ जाती है. ऐसे में जब रिजर्व बैंक को महंगाई कंट्रोल करना होता है तो वह रेपो रेट को बढ़ा देता है. इससे लिक्विडिटी घट जाती है और महंगाई कंट्रोल में आ जाती है. कोरोना के कारण इकोनॉमी पर काफी बुरा असर हुआ है. ऐसे में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर लिक्विडिटी इंफ्यूजन का काम किया. इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई जिससे ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा.

एक्सेस लिक्विडिटी को वापस खींचता है RBI

रिवर्स रेपो रेट की मदद से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया फाइनेंशियल सिस्टम से लिक्विडिटी को वापस खींचता है. जब रिजर्व बैंक को लगता है कि सिस्टम में एक्सेस लिक्विडिटी है तो वह रिवर्स रेपो रेट बढ़ाकर इसे बैंकों की मदद से वापस खींच लेता है. जब महंगाई दर बढ़ जाती है तो रिवर्स रेपो रेट बढ़ाकर रिजर्व बैंक लिक्विडिटी को घटाता है. इसकी मदद से इंफ्लेशन कम करने की कोशिश की जाती है.

रेपो रेट, रिवर्स रेपो से ज्यादा होता है

रेपो रेट हमेशा रिवर्स रेपो रेट से ज्यादा होता है. रेपो रेट की मदद से इंफ्लेशन को कंट्रोल किया जाता है और फंड फ्लो को घटाया और बढ़ाया जाता है. रिवर्स रेपो रेट की मदद से कैश फ्लो कंट्रोल किया जाता है.

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