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संविधान की प्रस्तावना का पाठ एक अनुकरणीय पहल
27 नवंबर 2021/ संविधान दिवस पर राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं में संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया जाना अनुकरणीय पहल है। इससे बालमन में संविधान के प्रति सम्मान का भाव तो जागृत होगा ही, साथ ही बच्चे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को भी भलीभांति जान सकेंगे। उनका यह ज्ञान उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने की ओर अग्रसर करेगा। जिस तरह से बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा और संस्कार जरूरी है, उसी तरह से संविधान में प्रदत अधिकार और कर्तव्य की जानकारी भी होना समय की मांग है।
बच्चों के हित में चिंतन करके राज्य सरकार ने यह जो नवाचार किया है, उसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। भारत का संविधान हमें अनुशासित तो करता ही है, साथ ही यह भी बताता है कि देश और देश में सभ्य समाज के प्रति हमारे दायित्व क्या हैं। संविधान हमें सुविधाएं तो प्रदान करता ही है, साथ ही अपने मौलिक अधिकारों की जानकारी देते हुए अपने कर्तव्यों की प्रति सजग भी करता है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक की ओर से दो लघु पुस्तिकाएं ‘भारत का संविधान और ‘हम भारत के लोग प्रकाशित की हैं। शासकीय स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के बच्चों को ‘भारत का संविधान और छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों को ‘हम भारत के लोग पुुुस्तक का निश्शुल्क वितरण किया गया है।
इन दोनों पुस्तिकाओं में संविधान की प्रस्तावना, संक्षिप्त परिचय, मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य और राज्य के नीति निर्देशक तत्वों को बाल मनोविज्ञान के अनुरूप सचित्र प्रस्तुत किया गया है। इंटरनेट मीडिया के दौर में जब कई प्रकार की भ्रामक जानकारियां दी जा रही हैं, तब ऐसे समय में बचपन से ही संविधान के बारे में सही जानकारी देने की यह पहल सराहनीय है। इससे निश्चित ही सकारात्मक नतीजे मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
इसके अलावा देश की धर्मनिरपेक्षता के आधारभूत ढांचे को जर्जर करने की जारी कोशिशों के बीच छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चे यदि संविधान की लघु पुस्तिकाओं का अध्ययन कर रहे हैं तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। यह हमारी उपलब्धि ही है कि ऐसे अभियान प्रदेश भर में जिला विधिक प्रकोष्ठ के माध्यम से लगातार चलाए जा रहे हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में छात्राओं और महिलाओं के बीच जाकर उन्हें उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों की जानकारी दी जा रही है।
राज्य सरकार के प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर किए प्रशंसनीय प्रयासों के बाद हाई, हायर सेकंडरी स्कूलों और कालेजों के विद्यार्थियों में भी संविधान के प्रति सम्मान और दायित्व को प्रतिष्ठित करने की पहल किए जाने की अपेक्षा है। इनको भी भारतीय संविधान की जानकारी देकर कर्तव्यों की प्रति जिम्मेदार बनाने की दिशा में भी प्रयास जाने की जरूरत है। आशा की जानी चाहिए कि सरकार इस पर ठोस पहल करेगी।