- Home
- breaking
- Chhattisgarh
- नक्सलियों ने बंधक सब इंजीनियर को किया रिहा, 7 दिनों बाद पत्नी की गुहार के बाद जनअदालत लगाकर छोड़ा
नक्सलियों ने बंधक सब इंजीनियर को किया रिहा, 7 दिनों बाद पत्नी की गुहार के बाद जनअदालत लगाकर छोड़ा
जगदलपुर/बीजापुर, 17 नवंबर 2021/ छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को 7 दिन के बाद रिहा कर दिया है। बीजापुर के जंगलों में नक्सलियों ने बुधवार को जन अदालत लगाई जिसमें ग्रामीणों और कुछ आदिवासी समाज के लोगों के सामने उन्हें रिहा कर दिया। बताया जा रहा है कि, कुछ देर के बाद सब इंजीनियर जिला मुख्यालय पहुंचेगा। सब इंजीनियर की पत्नी अर्पिता भी उनके साथ हैं। 11 नवंबर को सब इंजीनियर प्यून को लेकर सड़क निर्माण कार्य का जायजा लेने गए थे, उसी दौरान करीब दोपहर 12.30 बजे दोनों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था।
इससे पहले 12 नवंबर को नक्सलियों ने प्यून लक्ष्मण परतगिरी को रिहा कर दिया था। नक्सलियों ने दोनों का अपहरण 11 नवंबर को किया था। जिसके बाद से सब इंजीनियर उनके कब्जे में था। सब इंजीनियर की पत्नी अर्पिता ने माओवादियों से उसके पति को छोड़ने गुहार लगाई थी। वो उन्हें ढूंढने के लिए जंगल में भी निकली थी। उस दौरान उसका 3 साल का छोटा बच्चा भी साथ था।
सड़क निर्माण का जायजा लेने गए थे दोनों
बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके गोरना गांव में करोड़ों रुपए की लागत से सड़क निर्माण का काम चल रहा है। यह इलाका पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ है। इसी सड़क निर्माण काम का जायजा लेने के लिए गुरुवार को PMGSY के सब इंजीनियर अपने साथ विभाग के प्यून को लेकर गए थे। यहीं से माओवादियों ने दोनों का अपहरण किया था।
आंख में पट्टी बांधकर घुमाया
12 नवंबर की देर शाम नक्सलियों की चंगुल से छूटकर आए प्यून ने बताया था कि नक्सलियों ने रात लगभग 8:30 बजे उसे लौकी की सब्जी और भात (चावल) खिलाया था। आंखों में पट्टी बांध कर यहां वहां घुमाते रहे। उसके बारे में पूछताछ भी की। लेकिन किसी तरह से उसे प्रताड़ित या फिर पिटा नहीं गया है था। उसने बताया था कि नक्सली उसे किस तरफ ले गए थे। उसे यह नहीं पाता। माओवादी सब इंजीनियर को लेकर दूसरी तरफ चले गए थे।
अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ नक्सलियों से गुहार लगाने के लिए जंगल में दर-दर भटक रही थी। वहीं अजय लकड़ा की पत्नी अर्पिता को जब पति के अपहरण की जानकारी मिली थी वो भी गोरना गांव पहुंच गई थी। यहां रोते बिलखते गांव की गलियों में घूमती रही थी। रास्ते में जो भी ग्रामीण मिलता उससे गुहार लगाती रही कि किसी तरह से नक्सलियों तक कोई मेरी बात पहुंचा दो और मेरे पति को रिहा करवा दो। मेरे पति बेकसूर हैं।
अर्पिता ने कहा था कि, मैं इस इलाके से अंजान हूं। पता नहीं है मुझे जाना कहां है। यही विनती कर रही हूं कि बस पति को किसी तरह से नक्सली छोड़ दें। अर्पिता ने नक्सलियों से अपील की थी कि मेरे पति निर्दोष हैं। वो बहुत सीधे इंसान हैं। उनकी मां भी बुजुर्ग है। मां समेत मेरे और बच्चे की देखभाल करने उनके अलावा और कोई नहीं हैं।