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‘नेशनल क्राइम ब्रांच’ गैंग  पकड़ा गया, मोबाइल ऐप से बनाया फर्जी ID कार्ड, फिर दिखाकर करने लगे लूट, 7 गिरफ्तार

3 years ago
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पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में वारदात करना स्वीकार कर लिया है। उनके मोबाइल से क्राइम ब्रांच का आईडी कार्ड मिला है।

 

 

 

 

 

 

 

 

बिलासपुर 21 सितंबर 2021/    छत्तीसगढ़ की बिलासपुर पुलिस ने क्राइम ब्रांच के नाम पर लोगों से ठगी और लूट करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। इस मामले में नाबालिग सहित 7 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। पकड़े गए आरोपियों ने मोबाइल ऐप के जरिए ‘नेशनल क्राइम ब्रांच’ की फर्जी ID बना रखी थी। इसी को दिखाकर लोगों को डराते थे। जांच में पता चला है कि इस नाम की NGO रजिस्टर्ड है, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं हो सकता। पुलिस को अब NGO संचालक की तलाश है।

जैकी कुमार ने 19 सितंबर को सरकंडा थाने में FIR दर्ज कराई थी कि वह 18 सितंबर को ट्रक में गिट्टी लोड कर चिल्हाटी की ओर जा रहा था। अभी वह मोपका-चिल्हाटी मोड़ के पास पहुंचा था कि कुछ लड़कों ने जबरदस्ती ट्रक रुकवा लिया। फिर खुद को क्राइम ब्रांच का स्टाफ बताकर धमकी दी। आरोपियों ने अपने मोबाइल में ‘नेशनल क्राइम ब्रांच’ का ID कार्ड दिखाया, फिर गालियां देते हुए धक्कामुक्की कर 5 हजार रुपए की मांग करने लगे। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में वारदात करना स्वीकार कर लिया है। उनके मोबाइल से क्राइम ब्रांच का आईडी कार्ड मिला है।

बिलासपुर से 5, कोरबा से 2 को पकड़ा गया
पुलिस ने जांच शुरू की और मोपका निवासी रामप्रसाद ध्रुव, खमतराई निवासी दीपक ध्रुव, सरकंडा निवासी पुरुषोत्तम सिंह व अमित सिंह और एक नाबालिग को पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि लगरा निवासी भीम कुमार पटेल और कोरबा के दीपका निवासी जनक दीवान ने मोबाइल लिंक से ऐप के जरिए ‘नेशनल क्राइम ब्रांच’ की ID तैयार की है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने भीम और जनक को भी कोरबा से गिरफ्तार कर लिया।

मोबाइल से मिला ID, वारदात में प्रयुक्त बाइक, कार भी जब्त
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में वारदात करना स्वीकार कर लिया है। उनके मोबाइल से क्राइम ब्रांच का ID कार्ड मिला है। वारदात में प्रयुक्त 7 मोबाइल, बाइक और हूटर लगी कार भी जब्त की गई है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। अभी तक पता चला है कि जिस ‘नेशनल क्राइम ब्रांच’ की फर्जी ID बनाई है, वह एक NGO है। उसके संचालक को लेकर भी जानकारी जुटाई जा रही है। इस नाम से NGO कैसे पंजीकृत कराया गया। आरोपी भी पहले एक NGO में ही काम करते थे।

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