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धर्मजयगढ़ कांग्रेस विधायक ने CM बघेल को पत्र लिखकर कहा- मांड-हसदेव क्षेत्र को भी हाथी रिजर्व फारेस्ट घोषित करे सरकार

4 years ago
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लेमरु हाथी रिजर्व जिस क्षेत्र में प्रस्तावित है वह हाथियों के सबसे पुराने रहवासों में शुमार है।

 

 

 

 

रायपुर 07 जुलाई 2021/  हसदेव और मांड नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में खनन गतिविधियों को मंजूरी और प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल छोटा करने के प्रस्ताव पर कांग्रेस में ही विरोध शुरू हो गया है। धर्मजयगढ़ से कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर पूरे जलग्रहण क्षेत्र को हाथी रिजर्व बनाने की मांग की। उन्होंने पत्र में राहुल गांधी के वादों हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से इस पर कदम उठाने की मांग की।

राठिया ने लिखा कि छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कोयले का प्रचुर भंडार है। इसका कुछ हिस्सा हमारी महत्वपूर्ण मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भी आता है। इन इलाकों में कोयला खनन होने से बड़ी संख्या में आदिवासी बहुल गांवाें का विस्थापन होगा। स्थानीय व्यक्तियों को इससे रोजगार नगण्य है। क्योंकि खुली कोयला खदानों में पूरी तरह मशीनों से काम होता है।

कांग्रेस विधायक ने लिखा है कि क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष पहले से ही गंभीर स्थिति में है। क्षेत्र में अधिक कोयला खदान खुलने से हाथी समूह अधिक उग्र होकर गांवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिससे हाथी के साथ संघर्ष बढ़े। उन्होंने आदिवासियों को विस्थापन से बचाने का भी भरोसा दिलाया था। इस क्षेत्र में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 36 (A) के तहत अगर रिजर्व बनाया जाता है तो स्थानीय लोगों के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।

राहुल गांधी और भूपेश बघेल ने विस्थापन और हाथी के हमलों से प्रभावित कुदमुरा गांव के लोगों को संरक्षण का भरोसा दिया था।

 

राहुल गांधी और भूपेश बघेल ने विस्थापन और हाथी के हमलों से प्रभावित कुदमुरा गांव के लोगों को संरक्षण का भरोसा दिया था।

80% छोटा होगा लेमरू हाथी रिजर्व!:सरगुजा क्षेत्र के विधायकों से प्रस्ताव लेकर हाथी रिजर्व को 1995 की जगह 450 वर्ग किमी में सीमित करने की तैयारी, मंत्रिपरिषद में आएगा प्रस्ताव

लेमरु के क्षेत्रफल में कमी न की जाए
पत्र में राठिया ने लिखा कि 2019 में कैबिनेट ने लेमरु हाथी रिजर्व का जो क्षेत्रफल पारित किया था, उसमें कोई कमी न की जाए। उसके अलावा मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र को भी संरक्षित करने और लोगों को विस्थापन से बचाने के लिए धारा 36 (a) के तहत रिजर्व घोषित किया जाए।

केंद्र सरकार दूसरा कोल ब्लॉक नहीं खोलेगी
कांग्रेस विधायक ने लिखा कि इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित करने से यह होगा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में कोई दूसरा कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि देश और राज्य की कोयला आवश्यकता की पूर्ति के लिए दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन को उनके धर्मजयगढ़ में कोल ब्लॉक आवंटित है। जबकि उन्हें ओडिशा के तालचर में खदान दी जा सकती थी जो यहां 300 किमी कम दूरी पर है।

लेमरु हाथी रिजर्व जिस क्षेत्र में प्रस्तावित है वह हाथियों के सबसे पुराने रहवासों में शुमार है।

यहां से शुरु हुआ लेमरु का नया विवाद
2019 में राज्य मंत्रिपरिषद ने 1995.48 वर्ग किमी क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव पास किया था। इसके बाद तकनीकी वजहों से अधिसूचना जारी नहीं हुई। इस बीच हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र और जैव विविधता बचाने के नाम पर इसके विस्तार का प्रस्ताव बना। तय हुआ कि इसे 3 हजार 827 वर्ग किमी कर दिया जाए। इस हाथी रिजर्व में सरगुजा, कोरबा और रायगढ़ जिले का बड़ा हिस्सा आ रहा था।

अब वन विभाग कह रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, लैलुंगा विधायक चक्रधर सिंह सिदार, भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो, मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल, लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम, कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर, कुनकुरी विधायक यूडी मिंज और कोरबा विधायक मोहित राम ने लेमरु हाथी रिजर्व को 450 वर्ग किमी तक सीमित करने का अनुरोध किया है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री ने इस तरह के किसी भी अनुरोध करने की बात से इनकार कर दिया है।

स्थानीय ग्राम पंचायतों ने भी हाथी रिजर्व का क्षेत्र सीमित रखने का अनुरोध किया है। उनको आशंका है कि इससे उनकी आजीविका बाधित होगी और गतिविधियां सीमित हो जाएंगी। ऐसे में विभाग ने फैसला किया है, लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल 450 वर्ग किमी करने और उसकी सीमाओं के निर्धारण का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के सामने रखा जाए।

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