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अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों की ओर से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पैरवी करेंगे रिटायर्ड मुख्य न्यायधीश, 12 जुलाई को है महत्वपूर्ण सुनवाई
रायपुर 05 जुलाई 2021/ छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति को सरकारी सेवाओं में 32 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका में हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायधीश की भी एंट्री होने जा रही है। ये सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश और केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण के अध्यक्ष रह चुके परमोद कोहली हैं। न्यायमूर्ति कोहली एक वकील के तौर पर इस मामले में अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST) का पक्ष रखेंगे।
बताया जा रहा है, जनजाति जागरूकता समिति के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल भगत ने संविधानिक विधि के जानकार बीके मनीष की सलाह पर पूर्व मुख्य न्यायधीश को पैरवी के लिए नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति कोहली जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में न्यायधीश और सिक्किम हाई कोर्ट में मुख्य न्यायधीश रहे हैं| वह केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ दिल्ली के अध्यक्ष भी रहे हैं| बताया जा रहा है, गाेंड जनजाति की एक महिला कर्मचारी की ओर से मंगलवार उच्च न्यायालय में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने की तैयारी है। समिति के सचिव योगेश कुमार ठाकुर ने बताया, उच्च न्यायालय ने गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान, रायपुर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले की सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय किया है। सतनामी समाज के एक संगठन ने अनुसूचित जनजाति के आरक्षण और राज्य के आरक्षण संशोधन अधिनियम 2011 पर आपत्ति की है। सरकार को चूंकि सभी वर्गों के हित पर ध्यान देना है इसलिए जनजातीय हितों की विशेष सुरक्षा के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। योगेश कुमार ठाकुर ने कहा, 2012 से हुई एसटी आरक्षित भर्तियों की सुरक्षा की एक मजबूत कोशिश हाई कोर्ट में करना बेहद जरुरी हो गया है। हजारो एसटी शासकीय कर्मियों की नौकरी पर खतरे को टालना ही इस समय समझदारी है।
मराठा आरक्षण फैसले के आधार पर आरक्षण पर गंभीर खतरा
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की मदद कर रहे संविधान विशेषज्ञ बीके मनीष ने बताया, सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ के मराठा आरक्षण पर दिए फैसले की रोशनी में 2011 के संशोधन अधिनियम का खारिज होना लगभग तय है। इसमें एसटी वर्ग का आरक्षण 32 प्रतिशत किया गया था। क्योंकि सतनामी समाज के याचिकाकर्ताओं ने कुल आरक्षण 58% हो जाने को चुनौती दी है।
2012 में दाखिल हुई थी याचिका
राज्य सरकार ने 2011 में लोक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण) संशोधन कानून पारित किया। जनवरी 2012 में इसे लागू कर दिया गया। इसके तहत एससी वर्ग का आरक्षण 12 प्रतिशत, एसटी का 32 प्रतिशत और ओबीसी का 14 प्रतिशत तय किया गया। इससे पहले प्रथम और द्वितीय श्रेणी के पदों पर एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 18 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण था। वहीं तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर एससी को 16 प्रतिशत और एसटी को 20 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था। रायपुर की गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्थान ने 2012 में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर प्रदेश मेंं आरक्षण के 58 प्रतिशत हो जाने को चुनौती दी थी।