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शराब आदिवासियों की रीति-रिवाज और नेम का हिस्सा, यहां शराबबंदी हुई तो मुश्किल होगी, सामान्य क्षेत्रों में लागू करे सरकार : माेहन मरकाम
रायपुर 28 जून 2021/ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होते ही विधानसभा चुनाव में किए गए वादों की फेहरिस्त फिर बाहर आ गई है। इसमें प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी का मुद्दा महत्वपूर्ण है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरे हुए है। मंत्री इन सवालों पर जवाब देने से बच रहे हैं। इस बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आज ने साफ कर दिया वे राज्य में पूर्ण शराबबंदी के पक्ष में नहीं हैं।
रायपुर प्रेस से बात करते हुए मरकाम ने कहा, ‘प्रदेश का 60 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी बहुल है। वे खुद इसी समाज से आते हैं। आदिवासियों के रीति-रिवाज और नेम में शराब महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों से तर्पण में शराब की जगह महुआ के फूलों का उपयोग होने लगा है, लेकिन अन्य रीति-नेम में शराब का महत्व बना हुआ है। ऐसे में उनकी निजी राय है कि अधिसूचित क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो सामान्य क्षेत्रों में शराबबंदी लागू कर सकती है।’
शराबबंदी जरूर लागू होगी
मोहन मरकाम ने कहा कि शराबबंदी कांग्रेस के मेनिफेस्टो का हिस्सा है। इसे जरूर लागू किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए समिति बनाई है। वह शराबबंदी के प्रयोग वाले प्रदेशों का अध्ययन कर जल्द ही रिपोर्ट देगी। उसके बाद सरकार इस पर फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के समय 36 वादे किए थे। उनमें से 24 को पूरा किया जा चुका है। शेष को भी अगले दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा।
‘गुजरात-बिहार में अवैध शराब की घर पहुंच सेवा’
मरकाम ने कहा कि गुजरात और बिहार में कहने को पूर्ण शराबबंदी लागू है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है? जवाब है नहीं। वहां अवैध शराब की घर पहुंच सेवा शुरू हो चुकी है। अवैध और जहरीली शराब की वजह से लोगों की जान जा रही है। हम नहीं चाहते कि छत्तीसगढ़ में भी ऐसा हो। इसलिए पूरे अध्ययन के बाद शराबबंदी लागू की जाएगी।