30 अगस्त को मनाई जाएगी हरतालिका तीज, जानें शुभ मुुहूर्त, व्रत-पूजन विधि
28 अगस्त 2022/ सुहाग की दीर्घायु व परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए महिलाएं हरतालिका तीज पर निर्जला व्रत रखकर रात्रि जागरण करेंगी। हरतालिका तीज इस बार हस्त नक्षत्र में मनाई जाएगी। हस्त नक्षत्र को पूजन के लिए विशेष माना जा रहा है। पर्व पर भगवान शंकर एवं माता पार्वती की आराधना की जाएगी। तीज पर मंदिरों में भी पूजा एवं अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हरतालिका तीज के अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत रख रात्रि में पूजन करती हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है. हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार, 30 अगस्त को रखा जाएगा। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने भी यह व्रत किया था।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार, 29 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी मंगलवार, 30 अगस्त को दोपहर 3:33 तक रहेगी। हरतालिका तीज के दिन सुबह 6:05 से लेकर 8:38 तक और शाम 6:33 मिनट से लेकर रात 8:51 तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज का व्रत निराहार और निर्जला ही रखा जाता है। यानी इस व्रत में आप ना तो कुछ खा सकते हैं और ना ही पानी पी सकते हैं। इसी वजह से हरतालिका तीज का व्रत सबसे मुश्किल व्रतों की श्रेणी में आता है। एक बार इस व्रत की शुरुआत हो जाए तो भविष्य में आप किसी भी वर्ष इसे छोड़ नहीं सकते हैं। आपको हर वर्ष ये पूरे विधि-विधान के साथ रखना ही होगा। हरतालिका तीज पर दिन में सोने से बचें और रात को रात्रि जागरण करें।
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
हरतालिका तीज पर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाकर रखें। एक चौकी लगाएं और उस पर शिव, पार्वती और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान शिव और माता पार्वती के सामने एक दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद श्रृंगार की पिटारी से सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को अर्पित करें। भगवान को बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें। पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें और गरीबों को इच्छानुसार कुछ दान करें। रात में जागरण करें। सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।