भाई के माथे पर तिलक करने से मिलते हैं ये 12 चमत्कारी लाभ, जानिए क्या है इनका अर्थ
09 अगस्त 2022/ रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सलामती की कामना करती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावणी पूर्णिमा पर बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ज्योतिष के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन भाई को राखी बांधने से पहले उसकी पूजा की जाती है। साथ ही तिलक लगाया जाता है। साथ ही कोई अन्य शुभ मौका आने पर हमारे यहां माथे पर तिलक लगाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। बचपन से ही राखी बांधने से पहले हम भाई को तिलक लगाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तिलक लगाने के पीछे आखिर क्या राज है। आज हम आपको तिलक लगाने के 12 चमत्कारी लाभ बताने जा रहे हैं।
आमतौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक किया जाता है। लेकिन जो लोग तिलक लगा हुआ दिखाना नहीं चाहते हैं वे जल से माथे पर तिलक करके भी इसका फायदा पा सकते हैं।
माथे पर तिलक लगाने से व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। साथ ही इसका मनोवैज्ञानिक असर भी होता है। इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है।
माना जाता है कि माथे पर रोज तिलक लगाने से मस्तिष्क में शांति बनी रहती है। व्यक्ति सुकून का अनुभव करता है। साथ ही इससे कई मानसिक बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं।
माथे पर तिलक लगाने से सेराटोनिन और एंडोर्फिन का स्राव सही तरीके से होता है। साथ ही इससे सिर दर्द की समस्या और उदासी दूर करने में भी मदद मिलती है।
तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक माना जाता है। तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है। यह स्थान छठी इंद्री का होता है।
हल्दी युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। हल्दी में एंटी बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही कई तरह के संकट से भी बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।
चंदन का तिलक लगाने वाले का घर धन-धान्य से भरा रहता है। साथ ही सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
शास्त्रों में श्वेत चंदन, कुमकुम, भस्म, लाल चंदन आदि का तिलक लगाना शुभ माना गया है। वहीं रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से तिलक किया जाता है। कुमकुम के तिलक के साथ चावल का भी प्रयोग किया जाता है।
इसका वैज्ञानिक कारण माना जाता है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के स्थान पर दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति, बौद्धिकता, साहस और बल में वृद्धि होती है।
माथे पर दोनों भौहों के बीच में जहां तिलक किया जाता है वह अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का शक्ति संचार होता है। साथ ही व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह माना जाता है कि बहन की समाज में रक्षा के लिए इन सभी गुणों की जरूरत होती है। अतः बहन के ही शुभ हाथों से यह कार्य संपन्न होना चाहिए। राखी के दिन भाई को कुमकुम से बहन के हाथों से तिलक का रिवाज है।