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वीरता पुरस्‍कारों की शुरुआत कब हुई, कैसे होता है चयन? जानें

3 years ago
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Gallantry Awards 2022 know its history significance and others details mpny | Gallantry Awards 2022: जानें कब हुई शुरुआत, कैसे होता है चयन सहित वीरता से जुड़े सभी अवॉर्ड्स के बारे में |

25 जनवरी 2022/   गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) के अवसर पर इस बार के वीरता पुरस्कारों (Gallantry Awards) की घोषणा हो गई है. हर साल शौर्य दिखाने वाले सेना (Indian Army), सीआरपीएफ, आईटीबीपी और पुलिस के जवानों और अधिकारियों को अलग-अलग वीरता पुरस्कारों से सम्‍मानित किया जाता है. इस बार 939 पुलिस कर्मियों को उनके शौर्य के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जाएगा. इसमें 189 वीरों को पुलिस मेडल से सम्मानित किया जाएगा. वहीं, विशिष्ट सेवा के लिए 88 वीरों को राष्ट्रपति का पुलिस मेडल (President Police Medal) और 662 को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस मेडल (Police Medal) दिया जाएगा. पुलिस मेडल पाने वाले 189 वीरों में से 134 कर्मियों को जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया जाएगा.

इन वीरता पुरस्कारों का ऐलान साल में दो बार​ किया जाता है. पहला 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर और दूसरी बार 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर. इनमें से कुछ पुरस्कार केवल सैनिकों के लिए होते हैं, जबकि कुछ पुरस्कार पुलिस, जेलकर्मी और आम नागरिकों के लिए भी होते हैं. इन वीरता पुरस्कारों में सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है. इसके बाद महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र और शौर्य चक्र आते हैं. आइए जानते हैं, इन पुरस्कारों के बारे में.

कब हुई थी वीरता पुरस्कारों की शुरुआत?

देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को ‘वीरता पुरस्कार’ देती आ रही है. 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इसी तारीख को भारत सरकार ने प्रथम तीन वीरता पुरस्कारों ‘परमवीर चक्र’, ‘महावीर चक्र’ और ‘वीर चक्र’ की घोषणा की. हालांकि इसे 15 अगस्‍त, 1947 से प्रभावी माना गया था.  इसके बाद भारत सरकार ने 4 जनवरी, 1952 को तीन अन्‍य वीरता पुरस्‍कारों की शुरुआत की. हर साल देश के शूरवीरों को ये सम्मान दिए जाते हैं.

वीरता पुरस्कारों के लिए कैसे होता है चयन?

वीरता पुरस्‍कारों के लिए देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों के नामों का चयन किया जाता है. शूरवीरों के नाम पहले रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं. रक्षा मंत्रालय में इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति होती है- केंद्रीय सम्‍मान एवं पुरस्‍कार समिति. यह समिति मंत्रालय के पास आने वाले सभी नामों पर विचार करती है. फिर मानकों के आधार पर पूरी प्रक्र‍िया के बाद यह समिति एक लिस्‍ट तैयार करती है जिसमें वीरता पुरस्‍कार के लिए तय नाम होते हैं. यह लिस्‍ट राष्‍ट्रपति के पास भेजी जाती है. राष्‍ट्रपति की अनुमत‍ि के बाद इन पुरस्‍कारों की घोषणा की जाती है.

आगे हम बता रहे हैं छह वीरता पुरस्कारों के बारे में.

परमवीर चक्र: सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार

परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य पुरस्‍कार होता है. यह दुश्मन के सामने अभूतपूर्व साहस दिखाने, शौर्य दिखाने और बलिदान के लिए दिया जाता है. भारतीय सेना के किसी भी विंग के जवानों और अधिकारियों को यह सम्मान दिया जाता है. यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है. यानी दुश्मनों से भिड़ते-लड़ते हुए शहीद होने वाले जवानों को बड़े ही सम्मान के साथ इस वीरता पुरस्कार से नवाजा जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर वीर बन्ना सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे.

महावीर चक्र: युद्ध के समय वीरताका पदक

यह (Mahavir Chakra) भारत का ऐसा पदक है जो युद्ध के समय वीरता दिखाने के लिए दिया जाता है. सेना और असैनिकों को असाधारण वीरता या शौर्यता या बलिदान के लिए यह पदक दिया जाता है. यह पुरस्कार भी मरणोपरांत दिया जा सकता है. इस बार सेना में कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल संतोष बाबू को इसी ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया जा रहा है.

वीर चक्र: असाधारण वीरता और बलिदान का पदक

वरीयता क्रम के अनुसार देखें तो यह (Vir Chakra) तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए ‘वीर चक्र’ सम्मान दिया जाता है. इस पुरस्‍कार की शुरुआत भी 26 जनवरी 1950 को परमवीर चक्र और महावीर चक्र के साथ हुई थी. सैनिकों को मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है.

कीर्ति चक्र: आम नागरिक भी हो सकते हैं योग्य

4 जनवरी 1952 को इस सम्‍मान (Kirti Chakra) की स्‍थापना हुई थी. सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा यह पुरस्कार टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है. अब तक 198 शूरवीरों को यह पुरस्‍कार मरणोपरांत दिया गया है.

शौर्य चक्र: शांति के समय का वीरता पदक

शांति के समय देश के सर्वोच्‍च वीरता पदकों में ‘शौर्य चक्र’ (Shaurya Chakra) का नाम आता है. वरीयता में यह ‘कीर्ति चक्र’ के बाद का वीरता पदक है. शांति काल के समय सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है. मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है.

अशोक चक्र: असाधारण वीरता और बलिदान का पदक

‘अशोक चक्र’ (Ashoka Chakra) का नाम भी शांति के समय दिए जाने वाले पुरस्कारों में आता है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है.

इन्हें भी मिलेगा वीरता का सम्मान

सीआरपीएफ के 30 जवानों को पुलिस मेडल

एसएसबी के तीन जवानों को पुलिस मेडल

ITBP को 3 पुलिस मेडल समेत कुल 18 शौर्य पुरस्‍कार

विशिष्ट सेवा के लिए 88 लोगों को राष्ट्रपति का पुलिस मेडल (पीपीएम)

सराहनीय सेवा के लिए 662 जवानों पुलिस मेडल (पीएम)

42 जेल कर्मियों को सुधार सेवा मेडल

सराहनीय सेवा के लिए 37 सुधार सेवा मेडल

 

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