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मकर संक्रांति के मौके पर महंगे हुए तिल, उत्पादन में भी आई कमी,आख़िर क्या हैं कारण?

3 years ago
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मकर संक्रांति के मौके पर महंगे हुए तिल, उत्पादन में भी आई कमी,आख़िर क्या हैं कारण?

मकर संक्रांति  पर्व के दौरान बाज़ारों में तिल की आवक बड़े पैमाने में होती हैं.इसलिए त्योहार के दौरान भारी मांग के कारण भी, तिल की कीमतें नियंत्रण में बनी रहती हैं.लेकिन इस साल की तस्वीर कुछ और है क्‍योंकि जलवायु परिवर्तन और बेमौसम बारिश ने तिल के उत्‍पादन को भी प्रभावित किया हैं जलवायु परिवर्तन से तिल (Sesame) की पैदावार में 25 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा हैं. इसलिए त्योहार के दौरान बढ़ती मांग और घटते उत्पादन के कारण कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी पिछले चार महीने में तिल के दाम 40 रुपये बढ़कर 50 रुपये हो गए हैं.अब यह देखना होगा कि क्या दरों में ऐसे ही वृद्धि जारी रहेगी.

उत्पादन और गुणवत्ता में भी आई  गिरावट-इस साल जलवायु परिवर्तन ने हर फसल को प्रभावित किया है.इसी तरह तिल की पैदावार में कुछ हद तक गिरावट आई हैं.साथ ही किसानों की आय भी अच्छी नहीं हैं हालांकि बारिश के कारण हल्के और निम्न गुणवत्ता वाले तिल का उत्पादन बढ़ा हैं.वैसे हर साल अन्य फसलों की उत्पादकता तिल की तुलना में अधिक होती हैं मूल रूप से तिल का रकबा कम था लेकिन इस साल बेमौसम बारिश और जलवायु परिवर्तन के कारण इसमें और कमी आई है.

पिछले साल की तुलना में उत्पादन में बड़ी गिरावट

बदलती कृषि प्रणाली के कारण कृषि आय दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. लेकिन इस साल प्रकृति की मार ने सभी फसलों को चपेट में ले लिया है.पिछले साल देश में तिल का उत्पादन 4 लाख 39 हजार 75 मीट्रिक टन हुआ था. इसके अलावा, इस साल की फसल पिछले साल की तुलना में अधिक है, लेकिन केवल अनिश्चित वर्षा और बदली हुई जलवायु के कारण, उत्पादन में लगभग 8 लाख मीट्रिक टन तक की गिरावट का अनुमान हैं.इसका असर अब साल भर रहेगा.तो वही तिल उत्पादक किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान भी हुआ हैं.इस साल बेमोसम बारिश के कारण न केवल तिल के उत्पादन में गिरावट देखि जा रही हैं बल्कि प्याज़ समते अन्य फसलों में भारी गिरावट का अनुमान जताया जा रहा हैं.

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