ग्राहकों को राहत: खाने के तेल की कीमतों में हुई भारी कटौती
मुंबई, 28 दिसंबर 2021/ खाने के तेल की कीमतों में 10-15% की कटौती की गई है। जिन ब्रांड्स की कीमतें घटाई गई हैं उसमें फॉर्च्यून, महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और अन्य हैं। इससे पहले अक्टूबर में भी 4-5% कीमतें घटी थीं।
बड़ी कंपनियों ने घटाई कीमतें
देश की बड़ी कंपनियों अडाणी विल्मर, रुचि सोया और अन्य ने अधिकतम कीमतों में कटौती की है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने बताया कि अडाणी ने अपने फॉर्च्यून ब्रांड, रुचि सोया ने महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला ब्रांड की कीमतों को घटाया है। इमामी ने हेल्दी एंड टेस्टी ब्रांड्स और जेमिनी ने फ्री़डम तथा सनफ्लावर की कीमतों में कमी की है।
छोटे ब्रांड्स की भी कीमतें घटीं
इसके अलावा छोटे-मोटे ब्रांड्स ने भी अपने तेल की कीमतों में कटौती की है। इसमें सनी ब्रांड, गोकुल एग्रो और अन्य हैं। SEA ने कहा कि हमारे सदस्यों ने हमारी अपील पर अच्छा रिस्पांस किया है। उन सदस्यों ने लगातार तेलों की कीमतों में कमी की है। सभी ब्रांड में 10-15% की कटौती की है। इससे ग्राहकों को राहत मिलेगी।
कंपनियों के साथ हुई थी बैठक
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कुछ दिन पहले इस इंडस्ट्री की कंपनियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने कहा था कि तेल की कीमतें काफी ज्यादा है और इसमें कमी होनी चाहिए, क्योंकि आयात ड्यूटी में कमी की गई है। इसके बाद इन कंपनियों ने यह फैसला लिया है। इंडस्ट्री ने कहा कि नए साल में ग्राहकों को कुछ राहत मिलेगी। इसी तरह से त्योहारी सीजन में भी इन कंपनियों ने 5-10% की कटौती कीमतों में की थी। SEA ने कहा कि खाने के तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा भाव के कारण बढ़ी थीं।
इंपोर्ट ड्यूटी घटाई गई
सरकार ने इस साल आयात ड्यूटी को कई बार घटाया है। पिछली बार 20 दिसंबर को रिफाइंड पाम ऑयल पर कस्टम्स ड्यूटी को 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया था। यह कटौती मार्च 2022 तक लागू रहेगी। सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार ट्रेडर्स को रिफाइंड ऑयल के इंपोर्ट की बिना लाइसेंस के इजाजत दे दी है। यह नियम दिसंबर 2022 तक लागू रहेगा।
SEA के अनुसार, भारत खाने के तेल का करीबन 65% हिस्सा आयात करता है। सालाना भारत में 22 से 23 मिलियन टन के तेल की खपत होती है। इस आधार पर 13 से 15 मिलियन टन तेल का आयात होता है।