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छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव 2024: विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने, पीएम मोदी और भूपेश बघेल का चेहरा है आगे

9 months ago
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छत्तीसगढ़ में चुनावी बयार पूरे जोरों पर है। राज्य की 11 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। लगभग ढाई दशक पहले आस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद अगर लोकसभा चुनाव का इतिहास देखें तो यहां हर चुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है। 2004 में राज्य के गठन के बाद हुए आम चुनाव से लेकर 2014 तक सभी तीनों चुनाव में राज्य की 11 सीटों में से 10 सीटों पर बीजेपी जीतती रही है। पहली बार महासमुंद की सीट राज्य के पहले मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता अजीत जोगी, दूसरी बार कोरबा की सीट यूपीए सरकार में पूर्व मंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने निकाली। 2014 में अकेले कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू दुर्ग सीट से जीते।

2019 में पहली बार कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा
वहीं, 2019 में पहली बार पहले कांग्रेस ने राज्य में अपना प्रदर्शन सुधारते हुए दो सीटें जीतीं। कांग्रेस को कोरबा और बस्तर से जीत का रास्ता मिला। राज्य की छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर आजतक बीजेपी कभी नहीं हारी। बीजेपी का अभेद्य गढ़ कही जाने वाली सीटों में रायपुर, कांकेर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर चांपा और राजनांदगांद की सीट शामिल है। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही निगाहें इन छह सीटों पर है।

प्रदर्शन सुधारने में जुटी कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस की कोशिश बीजेपी के उन अभेद्य किलों को भेद कर अपना प्रदर्शन सुधारने की है। बीजेपी अपने मजबूत किलों को बचाए रखने के साथ-साथ राज्य में कांग्रेस को महज एक या दो सीटों तक सीमित रखने के लक्ष्य पर काम कर रही है। अगर मौजूदा चुनाव की बात करें जहां महज चार महीने पहले प्रदेश की सत्ता में आई बीजेपी पीएम मोदी के नाम और काम पर लोगों से वोट मांग रही है तो वहीं दूसरी ओर यहां पूर्व सीएम भूपेश बघेल की अगुआई में चुनाव लड़ रही है।

बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती प्रदेश में उसके पास बड़े चेहरे का ना होना भी है। सीनियर बीजेपी नेता और पूर्व सीएम रमन सिंह बड़ा चेहरा होते हुए भी उनका राजनीतिक कद अभी तक कद्दावर नहीं हो पाया है। उनके सामने कांग्रेस में भूपेश बघेल, टीएससिंह देव, ताम्रध्वज साहू, चरण दास महंत, कवासी लखमा जैसे कई बड़े नाम हैं। हालांकि पार्टी आपसी खींचतान से भी गुजर रही है।

कांग्रेस ने एक का टिकट काट दिया
वहीं, कांग्रेस ने अपने मौजूदा दो सांसदों में एक का टिकट काट दिया, जबकि कोरबा से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को फिर से रिपीट किया है। बस्तर से अपने मौजूदा सांसद दीपक बैज की जगह पार्टी ने कवासी लखमा को उतारा है। बैज फिलहाल पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान संभाल रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से यहां भूपेश बघेल खुद चुनावी मैदान में हैं। वह राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहे हैं जो पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह का गढ़ हुआ करती थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस टिकटों को लेकर चर्चा है कि यहां की ज्यादादर सीटें भूपेश बघेल के कहने पर दी गई है। पार्टी ने रायपुर से विकास उपाध्याय को दिया है, जिनका मुकाबला बीजेपी के बड़े नेता और मौजूदा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से है। महासमुंद से पार्टी ने अपने सीनियर नेता धाम्रध्वज साहू को उतारा है, जबकि रायगढ़ से कांग्रेस ने एक राज परिवार से आने वाली मेनका सिंह को टिकट दिया है। बस्तर में कांग्रेस और बीजोपी दोनों ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। अभी तक बस्तर संभाग से लोकसभा में ज्यादातर बीजेपी ही जीतती आई है।

बीजेपी ने बदले हैं तीन टिकट
इसके साथ ही बीजेपी ने भी छत्तीसगढ़ में तीन टिकट बदले हैं। बीजेपी की तरफ से उतरे अहम चेहरों में बृजमोहन अग्रवाल के अलावा राजनांदगांव से सरोज पांडे का है। सरोज पांडे बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव रहने के अलावा बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। मेयर पद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाली पांडे छत्तीसगढ़ असेंबली से लेकर लोकसभा और राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं। सरोज पांडे इस बार राजनांदगांव में भूपेश बघेल को चुनौती दे रही हैं। वहीं, पिछली बार रायपुर से जीतने वाले सुनील सोनी की जगह पार्टी ने अपने कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को उतारा है। इसी तरह सरगुजा की मौजूदा सांसद रेणुका सिंह की जगह इस बार चिंतामणि महाराज को मौका दिया गया है। प्रदेश की कांकेर सीट से पिछली बार विक्रम उसेंडी जीते थे, लेकिन इस बार उनकी जगह भोजराज नाग को टिकट दिया है।

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