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CM बघेल बोले-अब देश से माफी मांगे भाजपा, इनका चरित्र राम-नाम जपना पराया माल अपना
रायपुर, 25 दिसंबर 2022/ देश की संसद में केंद्र सरकार ने कहा है कि रामसेतु के पुख्ता सबूत नहीं है। अब इसे लेकर कांग्रेस ने भाजपा को सियासी तौर पर घेरना शुरू कर दिया है। शनिवार को रायपुर में पुलिस लाइन हैलीपैड पर इस मुद्दे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मीडिया को प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा पर तंज कसे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयान में कहा- देखिए जब यही बात कांग्रेस सरकार के वक्त कही गई थी तो राम विरोधी कहा गया। अब खुद कह रहे हैं, तथाकथित राम भक्त बनने वाले भाजपा के लोग सदन में कह रहे हैं कि रामसेतु के पुख्ता सबूत नहीं है , अब इन्हें किस श्रेणी में रखा जाएगा। भाजपा को देश से माफी मांगना चाहिए देश के लोगों को गुमराह किया गया।
CM बघेल ने आगे कहा- भाजपा के लोग अब खुद भी कटघरे में खड़े हो गए हैं। यदि भाजपा के लोग सच में राम भक्त होेते तो अपनी सरकार से सवाल पूछते, विरोध करते, आलोचना करते, यदि नहीं पूछ रहे तो इनका मूल चरित्र यही है। इनका मूल चरित्र है सत्ता प्राप्ति करना। राम नाम जपना पराया माल अपना, ये इनका मूल चरित्र है ।
संसद में क्या कहा है केंद्र सरकार ने
सरकार ने संसद में कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह बीते गुरुवार को भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा- जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं। छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं।
जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा, ‘टेक्नोलॉजी के जरिए कुछ हद तक हम सेतु के टुकड़े, आइलैंड और एक तरह के लाइम स्टोन के ढेर की पहचान कर पाए हैं। हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह पुल का हिस्सा हैं या उसका अवशेष हैं।’ उन्होंने कहा- मैं यहां बता दूं कि स्पेस डिपार्टमेंट इस काम में लगा हुआ है। रामसेतु के बारे में जो सवाल हैं तो मैं बताना चाहूंगा कि इसकी खोज में हमारी कुछ सीमाए हैं। वजह यह है कि इसका इतिहास 18 हजार साल पुराना है और, अगर इतिहास में जाएं तो ये पुल करीब 56 किलोमीटर लंबा था।
मनमोहन सरकार कह चुकी है ये बात
2005 में मनमोहन सराकर ने सेतुसमुद्रम नाम से एक बड़ी जहाजरानी नहर परियोजना का ऐलान किया था। इसमें रामसेतु के कुछ इलाकों से रेत निकालकर गहरा करने की भी बात थी, ताकि पानी में जहाज आसानी से उतर सके। इस प्रोजेक्ट में रामेश्वरम को देश का सबसे बड़ा शिपिंग हार्बर बनाना भी शामिल था।
इससे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच डायरेक्ट समुद्री मार्ग खुल जाता। इससे व्यवसाय में 5000 करोड़ का फायदा होने का अनुमान था। 2007 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यह सेतु इंसानों ने बनाया है। जब इस मुद्दे पर विरोध और धार्मिक भावनाएं भड़कने लगीं तो सरकार ने अपना हलफनामा वापस ले लिया।