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छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से 2 और मौतें, 16 नए संक्रमित मिले
रायपुर, 28 अगस्त 2022/ छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू से मौत का सिलसिला जारी है। यहां दो और मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई है। दोनों 62 साल की महिलाएं हैं, जिन्हें स्वाइन फ्लू के साथ दूसरी गंभीर बीमारियां भी थीं। इसी के साथ पिछले डेढ़ महीनों में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। जबकि संक्रमित की संख्या 161 पहुंच गई है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मरने वालों में एक महिला बिलासपुर जिले की थी। वहीं दूसरी महिला रायपुर जिले की ही निवासी थी। इनमें से एक को रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। दूसरी महिला का इलाज रायपुर के ही एक निजी अस्पताल में हो रहा था। उनमें कई दिन पहले स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी।
उससे पहले बुधवार को बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में 35 साल कह महिला की मौत हुई थी। इन दो मौत को मिलाकर इस साल स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 तक पहुंच गई है। इस बीच प्रदेश भर में स्वाइन फ्लू के 16 नए मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से 14 केस अकेले रायपुर जिले से ही आए हैं। एक केस रायगढ़ और एक सूरजपुर से रिपोर्ट हुआ है।
रायपुर बन रहा है स्वाइन फ्लू का हॉटस्पॉट
आंकड़ों से दिख रहा है कि रायपुर शहर स्वाइन फ्लू संक्रमण का हॉटस्पॉट बन रहा है। अब तक प्रदेश भर के स्वाइन फ्लू के 161 मामलों की पुष्टि हुई है। उनमें से 92 मामले यानी कुल मामलों का 57.14% रायपुर के ही हैं। यहां अब भी 54 मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं प्रदेश भर में सक्रिय मरीजों की कुल संख्या 86 है। प्रदेश के दूसरे जिलों के अधिकतर मरीज भी रायपुर में ही हैं। दूसरे प्रदेशों से आए 7 मरीजों की इलाज भी यहां चल रहा है।
अभी इन जिलों में स्वाइन के संक्रमित
प्रदेश के 17 जिलों में स्वाइन फ्लू के मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 13 जिलों यानी रायपुर, दुर्ग, धमतरी, रायगढ़, दंतेवाड़ा, बलौदा बाजार, बिलासपुर, बस्तर, कोरबा, कोरिया, जांजगीर-चांपा, गरियाबंद और सूरजपुर जिलों में स्वाइन फ्लू के मामले हैं। रायपुर के बाद सबसे अधिक 6 एक्टिव केस दुर्ग जिले में हैं। उसके बाद धमतरी-बस्तर में 4-4, रायगढ़ में 3 और शेष जिलों के एक-एक मरीज का इलाज हो रहा है।
स्वाइन फ्लू से सतर्क रहने की जरूरत
स्वाइन फ्लू के मामले आमतौर पर सर्दियों में होते हैं। पर इसका वायरस मानसून में भी सक्रिय हो गया है। इससे बचने और सावधान रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मौसमी बीमारियों के साथ ही कोविड-19 और स्वाइन फ्लू से अलर्ट रहने की अपील की है। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है। जिन व्यक्तियों को इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत स्वाइन फ्लू के साथ कोरोना की भी जांच कराना चाहिए।
बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों को अधिक खतरा
महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है, स्वाइन फ्लू H-1 N-1 इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है। यह वायरस वायु कण एवं संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है। डॉ. मिश्रा ने बताया कि तेज बुखार के साथ खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, थकावट, उल्टी, दस्त, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट, खून के साथ बलगम आना व नाखूनों का नीला पड़ना स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं।
लक्षण दिखे तो इंतजार न करें, डॉक्टर को दिखाएं
डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू संक्रमण से बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों में नहीं जाने, संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से दूर रहने तथा नियमित रूप से हाथ साबुन या हैण्डवॉश से धोने की सलाह दी है। उनके मुताबिक सर्दी-खांसी एवं जुकाम वाले व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में लाये गये रूमाल और कपड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर पीड़ित को 24 से 48 घंटों के भीतर डॉक्टर से जांच अवश्य कराना चाहिए।
सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग का कहना है, प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों, जिला चिकित्सालयों तथा मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इसका इलाज कराया जा सकता है। जिस प्रकार कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, वैसे ही स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इन्फ्लुएंजा वैक्सीन लगाई जाती है। इस वैक्सीन से स्वाइन फ्लू की वजह से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।