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वोटर ID से आधार लिंक कराने से कई तरह के फायदे भी
रायपुर, 12 अगस्त 2022/ प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए वोटरकार्ड में आधार कार्ड के नंबरों को लिंक करना शुरू हो गया है। मगर बहुत कम लोगों को पता है कि इस बड़े और महत्वपूर्ण काम में छत्तीसगढ़ की भी विशेष भूमिका है।
देशभर के 80 करोड़ और प्रदेश के 1.82 करोड़ मतदाताओं के वोटरकार्ड से आधार कार्ड को जोड़ने या लिंक करने की कहानी दिलचस्प है। राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला तब 8-9 साल पहले भारत निर्वाचन आयोग में डिप्टी कमिश्नर थे। उन्होंने ही आयोग को वोटरकार्ड से आधार को लिंक करने का सुझाव दिया था। इस बारे में आयोग ने कई बैठकें की। राजनीतिक दलों के भी सुझाव लिए। काफी जद्दोजहद के बाद फिर इसकी उपयोगिता को देखते हुए सुझाव को मान लिया गया। तब से प्रारंभिक तौर पर वोटरकार्ड व आधार को जोड़ने शुरू कर दिया गया था। तब बहुत कम लोगों के पास आधार हुआ करते थे। अब आयोग ने इसे अधिकारिक रूप से देशभर में लागू कर दिया।
फर्जी मतदान की संभावना होगी कम
माना जा रहा कि देश में 98 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड हैं। डॉ. शुक्ला का तर्क था कि वोटरकार्ड से आधार का नंबर लिंक करने पर एक वोटर के मतदाता सूची में दूसरी जगहों पर भी नाम जुड़वा लेने की समस्या दूर हो जाएगी। साथ ही वोटर का बायोमैट्रिक्स व फोटो भी रहेगा तो फर्जी मतदान की संभावना कम हो जाएगी। इसके साथ ही वोटरलिस्ट में मतदाताओं के नाम भी सही -सही प्रकाशित हो सकेंगे। डॉ. शुक्ला मूल रूप से छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं।
दरअसल आयोग देश में किसी भी राज्य की जरूरत के अनुसार मतदाता सूची का प्रकाशन अधिकतम पांच भाषाओं में करने की अनुमति देता है। जैसे छत्तीसगढ़ में हिंदी व अंग्रेजी में, जम्मू -कश्मीर में हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू में और बेलगाम में हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, कन्नड़ आदि में किया जाता है। इनमें किसी के नाम की हर भाषा में स्पैलिंग अलग – अलग हो सकती है, लेकिन आधार लिंक होने पर त्रुटि की संभावना खत्म हो जाएगी। यह आपस में मैच भी जाएगी।
ऑनलाइन पीडीएस सिस्टम शुरू करवाया
जैसे – जैसे वोटरलिस्ट से आधार नंबर लिंक होते जाएंगे। हर साल होने वाला मतदाता पुनरीक्षण का काम भी आसान होता जाएगा। फर्जी मतदाताओं को लेकर चुनावी सीजन में होने वाले आरोप -प्रत्यारोप से बचा जा सकेगा। साथ ही ऐसे मामलों को लेकर चुनाव आयोग या प्रत्याशियों के अदालती दहलीज तक पहुंचने की संभावनाएं भी लगभग खत्म होने की उम्मीद है। डॉ. शुक्ला खाद्य सचिव के रूप में प्रदेश में ऑनलाइन पीडीएस सिस्टम प्रारंभ करवाया था। उनके कार्यकाल में केंद्रीय निर्वाचन आयोग में मतदाताओं को दिए जाने वाले बड़े -बड़े ब्लैक एंड वाइट वोटर कार्ड जो कागज को लेमिनेट कर दिए जाते थे, बदलकर कलरफुल व विजिटिंग कार्ड के बराबर बनाए जाने लगे।
चुनाव के मद्देनजर ये काम भी हो रहे
चुनाव करवाने वाले अफसरों को ट्रेनिंग ।
फोटोयुक्त निर्वाचक नामावली तैयार करने में विशेष सावधानी बरतना ।
मतदाताओं से वोटर हेल्पलाइन और एनवीएसपी में डाटा नंबर अपलोडकर एपिक कार्ड को आधार से जोड़ना।
पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में जोड़ना।
मृत मतदाताओं का नाम काटना।