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होटल में बर्तन धोने वाला खेती से बना करोड़पति:पुरखों की 6 एकड़ जमीन पर शुरू की खेती, आज 80 एकड़ के मालिक, बंगले में रहते हैं

3 years ago
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Farming started from 6 acres of land today is 80 acres of cultivator, has received, has received Khubchandra Krishi Alankar Award | पुरखों की 6 एकड़ जमीन पर शुरू की खेती, आज

बेमेतरा, 18 फरवरी 2022/   छत्तीसगढ़ के सुखराम वर्मा चौथी पास हैं। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी तो 14-15 साल की उम्र में बेमेतरा से रायपुर चले गए। वहां एक होटल में बर्तन धोने लगे। महीनों काम किया, लेकिन होटल वाले ने रुपए नहीं दिए। फिर पिता उन्हें लेकर कोहड़िया गांव लौट आए। कुछ समय बिजली विभाग में मजदूरी की, लेकिन मन नहीं लगा। इसके बाद खेती की ओर रुख किया। आज सुखराम के पास 80 एकड़ जमीन है। वह बंगले में रहते हैं और करोड़पति हैं। उनका टर्न ओवर सिर्फ खेती से ही सालाना एक करोड़ रुपए से ज्यादा है।

सुखराम कहते हैं कि कृषि अगर पूरी लगन और आधुनिकता के साथ की जाए तो वह किसी उद्योग से कम नहीं है। कृषि करके भी आदमी करोड़पति बन सकता है। उन्होंने पुरखों की 6 एकड़ जमीन पर खेती शुरू की और आज यहां तक पहुंचे हैं। कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार भी उन्हें साल 2012 में डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार (छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण) से सम्मानित कर चुकी है।

पहले साल घर के लिए भी अनाज कम पड़ गया

सुखराम वर्मा बताते हैं कि खेती का कोई अनुभव नहीं था। पैतृक जमीन थी तो खेती की शुरुआत कर दी। कोशिश की, वह रंग भी लाई, लेकिन पहले साल पैदावार इतनी कम हुई कि साल भर तक घर के लिए ही अनाज खाने को कम पड़ गया। पहले तो समझ ही नहीं आया कि इतनी मेहनत के बाद भी ऐसा क्यों हुआ? फिर कृषि अधिकारियों से मिले। उन्होंने उन्नत बीच और खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उनके बताए अनुसार खेती करने से इतनी पैदावार हुई कि आमदनी होने लगी।

गांव के प्रगतिशील किसानों से लिया मार्गदर्शन

सुखराम वर्मा का कहना है कि उन्होंने सीखने की प्रवृत्ति कभी नहीं छोड़ी। पहले साल जब खेती अच्छी नहीं हुई तो वे लगातार ऐसे लोगों के पास जाते थे,जो अच्छी खेती कर रहे थे। फिर जब उनकी फसल भी अच्छी होने लगी तो वे उसे और अच्छा करने का प्रयास करने लगे। उन्होंने बताया कि गांव के विमल चावड़ा समेत कुछ किसान सब्जियों, फलों की बहुत अच्छी खेती कर रहे थे। वे विमल जी के पास गए और तब उन्हें ड्रिप इरिगेशन का पता चला। उन्होंने भी सरकार से मदद लेकर अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन लगवाया। इसी दौरान उन्हें सब्जी-फलों की खेती के लाभ, तरीके पता चले। मिट्टी को कैसे बेहतर रखना है यह मालूम हुआ। जो जानकारी उन्हें मिलती गई, उसके अनुसार वे प्रयोग करते गए और आज वे भी गांव के नामी प्रगतिशील किसान हो गए।

फलों के साथ सब्जियों की करते हैं पैदावार

सुखराम कहते हैं कि एक बार आमदनी शुरू हुई तो हौसला बढ़ा। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने यहां केला, पपीता, सब्जी व धान की पैदावार करते हैं। उन्नत खेती करके इतनी आमदनी कमाई की आसपास की जमीन भी खरीदने लगे। अब वह दूसरे किसानों को भी खुद से खेती करने की सलाह देते हैं।

धान में सबसे कम, सब्जी-फल में सबसे ज्यादा पैसा

सुखराम का कहना है कि धान में किसान को सबसे कम पैसा करीब 25 हजार रुपए एकड़ तक ही मिलता है, जबकि सब्जी-फलों में यह राशि कई गुना हो जाती है। फिर सब्जी की खेती में यह लाभ भी है कि यदि मार्केट में उस सब्जी की बाहर से आवक कम है तो रेट रातों रात दुगने, तीन गुने हो जाते हैं। वे बताते हैं कि जैसे पिछले साल टमाटर के रेट 60-70 रुपए तक चले गए थे। इससे बहुत लाभ हुआ। इसी तरह अभी फूलगोभी के अच्छे दाम मिल रहे हैं। वे किसानों को फल-सब्जी की खेती करने की सलाह देते हैं।

बेटे बहू व पोतों को नहीं करने दी नौकरी

सुखराम बताते हैं कि उनके दो बेटे हैं। वह पढ़े-लिखे हैं। उनकी बहुएं भी पढ़ी-लिखीं हैं। पोता MSc हॉर्टिकल्चर किया है। बेटे व पोते को नौकरी के ऑफर भी आए, लेकिन उन्होंने उन्हें जाने नहीं दिया। उनके बेटे बहू व पोते सभी ने खेती करने पर जोर दिया। उन्होंने खुद की जमीन ही नहीं दूसरों की जमीन भी ठेके पर लेकर खेती करना शुरू किया। आज उनका पूरा परिवार हर सुख सुविधा संपन्न है। इतना ही नहीं उनके यहां 30-40 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

 

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