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छत्तीसगढ़ में बनेगी गोबर से बिजली, सरकार के साथ पांच कंपनियों ने बायो प्लांट के लिए MOU किया; 50 करोड़ का नया निवेश आएगा

3 years ago
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Electricity from cow dung in Chhattisgarh: Five companies signed MoU with  the government for bio plant, new investment of 50 crores will come | सरकार  के साथ पांच कंपनियों ने बायो प्लांट

रायपुर, 15 फरवरी 2022/   छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के गोबर से बिजली उत्पादन की उम्मीद बढ़ी है। पांच कंपनियों ने सरकार के साथ गोबर से बिजली उत्पादन का प्लांट लगाने का करार किया है। ये कंपनियां 10-10 करोड़ रुपए का निवेश करने को तैयार हैं। इसके बाद निजी क्षेत्र की डेयरी फार्म के गोबर और शहरों से इकट्‌ठा कचरे का भी उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकेगा। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में मंत्रालय भवन में हुई गोधन न्याय मिशन की पहली बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया, ‘4 हजार 43 गौठानों में मल्टी एक्टिविटी संचालित है। इसके अंतर्गत कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र सहित प्रसंस्कृत उत्पाद, यूटिलिटी प्रोडक्ट्स, हस्त शिल्प, विशिष्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोठानों में 152 तेल मिल, 173 दाल मिल, 105 आटा मिल, 973 मिनी राइस मिल तथा 144 अन्य मिलों सहित कुल 1547 इकाइयों की स्थापना की कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। अब तक 868 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं।’

छत्तीसगढ़ में अभी 8,048 गोठान काम कर रहे हैं। इसे 10 हजार से अधिक करने की तैयारी है।

बैठक में वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह, गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन, कृषि संचालक यशवंत कुमार, उद्यानिकी विभाग के संचालक माथेश्वरन वी. सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

अक्टूबर 2021 में गोठानों में बिजली उत्पादन शुरू हुआ था

अक्टूबर 2021 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के तीन गोठानों में बिजली उत्पादन संयंत्रों का उद्घाटन किया था। इसमें बेमेतरा जिले के राखी गोठान, दुर्ग जिले के सिकोला तथा रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से विद्युत उत्पादन शुरू हुआ। बताया गया कि बनचरौदा गोठान में 500 किलो गोबर और 500 लीटर पानी से 20 किलोवॉट बिजली बन जा रही है। इससे अभी गोठान रोशन हो रहा है। वहां की कुछ मशीनें चल रही हैं।

गोठानों में ऐसे बनाई जा रही है बिजली

सबसे पहले सीमेंट से बने इनलेट चैंबर में गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाता है। इसमें रोजाना 500 किलो गोबर और 500 लीटर पानी डाला जाता है। यह घोल लोहे से ढका हुआ और 15 फीट गहरे बायोगैस संयंत्र में जाता है। गैस एक पाइप के जरिए बायोगैस बैलून में स्टोर होता है। गोबर गैस में मीथेन के अलाव और कई गैस होती हैं। ऐसे में यहां 3 स्क्रबर लगाए गए हैं। इसमें मीथेन गैस को फिल्टर कर अलग किया जाता है। इसके बाद जनरेटर की सहायता से बिजली उत्पादन होता है।

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