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अंग्रेजी-हिंदी की तरह छत्तीसगढ़ी मीडियम से भी पढ़ाई हो
बिलासपुर 04 अगस्त 2021/ छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में छत्तीसगढ़ी में शिक्षा देने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। पहली से 8वीं क्लास तक के बच्चों को उनकी ही भाषा में शिक्षा देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में बुधवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा की डिवीजन बेंच हुई। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
बिलासपुर निवासी और छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की अध्यक्ष लता राठौड़ ने अधिवक्ता यशवंत ठाकुर के माध्यम से याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी बच्चों को प्रांतीय भाषा में शिक्षित किया जाए। इंग्लिश और हिंदी मीडियम की तरह छत्तीसगढ़ी मीडियम की भी शुरुआत करने की मांग की है। कहा है राज्य की भाषा में बच्चों को शिक्षित करने से राज्य की संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी और बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में भी आसानी होगी।
हाईकोर्ट के सामने पेश किए 3 आधार
याचिकाकर्ता के वकील यशवंत ठाकुर ने बताया कि इसके लिए उन्होंनेे अदालत के सामने तीन आधार पेश किए हैं –
- 2005 में NCERT द्वारा जारी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन, जिसके अनुसार मातृभाषा को प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए सबसे बेहतर शिक्षा का माध्यम बताया गया था।
- राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन एक्ट 2009 की धारा 29 के अनुसार हर राज्य को अपनी मातृभाषा को स्कूल शिक्षा का माध्यम बनाने की बात कही गई है।
- 2020 की नई शिक्षा नीति के अनुसार पहली से आठवीं तक की स्कूली पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए।
CM से लेकर प्रकाश जावड़ेकर को दिया था प्रतिवेदन
अपनी इस मांग को लेकर लता राठौड़ 2015 से संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने इसको लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ-साथ सीएम भूपेश बघेल को भी अपना प्रतिवेदन दिया था। इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी उन्होंने दिल्ली में जाकर मुलाकात की थी। लेकिन कहीं से भी कोई संतोषजनक कार्रवाई ना होने पर उन्होंने अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।