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गांजे की तस्करी में फायदा देख जीआरपी के चार जवान बन गए सौदागर

2 months ago
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बिलासपुर। एंटी क्राइम एंड सायबर यूनिट (एसीसीयू ) एसीसीयू की टीम ने एक सूचना के आधार पर गांजा तस्करी करते हुए बिलासपुर जीआरपी के चार जवान समेत उसका एक साथी और खरीदार को पकड़ा है। गांजा तस्करी में फायदा देखकर चारों जवान खुद ही आडिशा में रहने वाले अपने साथी के माध्यम से बिलासपुर में गांजा मंगवाते थे। इसके बाद इसे अपने साथी के माध्यम से ग्राहक की तलाश कर मोटी रकम में बेचते थे। मामले के राजफाश के बाद एसीसीयू ने दो जवान को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है। वहीं दो आरक्षक और उसके साथी को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।

एसीसीयू के प्रभारी निरीक्षक राजेश मिश्रा ने बताया कि टीम को सूचना मिली कुछ लोग गांजा की तस्करी कर रहे हैं। इस पर टीम ने मामले की जांच की। 23 अक्टूबर को टीम ने 20 किलो गांजा के साथ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट निवासी रोहित द्विवेदी और आडिशा निवासी योगेश सौंधिया को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इस दौरान पता चला कि योगेश का जीआरपी के जवान मुन्ना प्रजापति, सौरभ नागवंशी, लक्ष्मण गाइन और संतोष राठौर के साथ घूमना-फिरना है। कड़ाई से पूछताछ करने पर बताया कि वह चारों जवान के कहने पर पिछले एक साल से ओडिशा से गांजा लाकर बिलासपुर में छिपा देता था। इसके योगेश ही ग्राहक की तलाश कर मोटी रकम में खपा देता था। सौदे में मिली रकम को आपस में चारों जवान और उनका साथा आपस में बांट लेते थे। मामले की जानकारी के बाद पुलिस ने चारों जवान, खरीदार और उसके साथी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। दो जवान सौरभ नागवंशी और मुन्ना प्रजापति को जेल भेज दिया गया है। वहीं लक्ष्मण गइन, सतोष राठौर व उसके साथी सौरभ सौंधिया को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया है।

ट्रेनों में गांजा तस्करी रोकने बनाई थी टीम

ट्रेन में लगातार हो रही गांजा तस्करी की घटना को रोकने के लिए रेल पुलिस अधीक्षक जीआर ठाकुर ने एंटी क्राइम टीम का गठन किया था। टीम में बिलासपुर से चारों आरोपित के अलावा रायपुर व अन्य जीआरपी के जवानों को पदस्थ किया गया था। चारों आरोपित ओडिशा से रायपुर के बीच ही अधिकांश गांजा तस्करी के मामले में आरोपितों को गिरफ्तार किया था। कुछ दिनों बाद उनसे दोस्ती कर गांजे के अवैध धंधे में संलिप्त हो गए थे।

पहले तस्करों को पकड़ते थे फिर बना लेते थे ग्राहक

जीआरपी के चारों जवान सुनियोजित तरीके से गांजे का सौदा करते थे। पहले ये ट्रेनों में तस्करी करने वाले छोटे आरोपितों को पकड़ते थे। गांजे की कुछ मात्रा अपने पास रखकर कार्रवाई करते थे। आरोपितों के छूटने के बाद इसे वे अपना ग्राहक बना लेते थे। मूलत: ओडिशा के रहने वाले योगेश सौंधिया की ओडिशा में गांजा सप्लायरों से अच्छी जान पहचान है। इसी का फायदा उठाकर जवाने ओडिशा से गांजा मंगवाते थे और इसे बिलासपुर में खपा देते थे।

जीआरपी और आरपीएफ की टीम को भी मिल रही थी शिकायतें

चारों जवानों की हरकतें संदिग्ध थीं। जीआरपी के अधिकारियों को उनकी शिकायतें मिली थीं। इसके बाद अधिकारियों ने चारों जवानों की गतिविधियों पर नजर रखने निर्देश दिए थे। अधिकारियों के निर्देश और उनसे मिली जानकारी के आधार पर ही एसीसीयू की टीम ने कार्रवाई की है।

बड़े पैमाने पर होती थी तस्करी

इन जीआरपी जवानों की तस्करी का नेटवर्क इतना व्यापक था कि इनकी गतिविधियों पर जीआरपी और आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के अधिकारी भी नजर रख रहे थे। जीआरपी और आरपीएफ अधिकारियों को इन जवानों की संदिग्ध गतिविधियों की शिकायतें मिलती रहती थीं। प्राप्त सूचनाओं और इनकी संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए अधिकारियों ने एसीसीयू को जानकारी दी। इसी सूचना के आधार पर एसीसीयू ने जाल बिछाकर चारों जवानों को पकड़ने में सफलता हासिल की। पूछताछ में पता चला है कि आरोपित जवानों का नेटवर्क नागपुर से लेकर ओडिशा तक था। इसके अलावा कटनी और कोरबा तक उनका नेटवर्क फैला हुआ है।

पहले भी पकड़ा जा चुका है एक जवान

मामले में शामिल एक जवान को रायपुर पुलिस ने नशे के कारोबार से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया था। मामले में उसे निलंबित भी किया गया था। न्यायालय के आदेश पर छूटने के बाद वह विभाग में बहाल गया। इसके बाद उसे जीआरपी की स्पेशल टीम में शामिल किया गया था। इसका फायदा उठाते हुए नशे के कारोबार से जुड़ गया।

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