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सीएम ने सरगुजा के लोगों को दो बड़ी सौगात, विधायक रेणुका सिंह की मांग पर बढ़ाया 25 करोड़ का बजट
जशपुर: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशुपर जिले के मयाली में सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली। मुख्यमंत्री ने प्राधिकरण के सदस्यों से वन-टू-वन चर्चा कर उनके क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं और मांगों की जानकारी लेते हुए प्रस्ताव देने की अपील की। उन्होंने बैठक में सदस्यों द्वारा बताई गई समस्याओं का संबंधित विभाग के माध्यम से निराकरण के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने विधायक रेणुका सिंह की मांग पर सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बजट राशि को 50 करोड़ से बढ़ाकर 75 करोड़ करने की घोषणा की। उन्होंने मयाली में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड़ की राशि देने की घोषणा भी की।
सभी वर्गों का विकास मेरी सरकार का लक्ष्य
प्राधिकरण की बैठक संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समय से ही प्रदेश का चहुमुखी विकास किया जा रहा है। उन्होंने आदिवासी क्षेत्र में विकास के लिए प्राधिकरण का गठन कर संसाधन उपलब्ध कराए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में पांच प्राधिकरण हैं। हमारी सरकार चाहती है कि बस्तर से लेकर सरगुजा क्षेत्र तक का विकास हो। इसके लिए बजट में राशि नहीं होने पर प्राधिकरण के माध्यम से आवश्यक कार्य कराए जाएंगे। भारत सरकार और राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग सहित सभी वर्गो का विकास हो।
विकास कार्यों को मिलेगी गति
सीएम ने कहा- प्राधिकरण के माध्यम से इन क्षेत्रों में संसाधन की व्यवस्था कर विकास की गति को और आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पीएम जनमन और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य और आदिवासी क्षेत्रों में विकास हेतु बजट का प्रावधान किया है। उनकी इन योजनाओं से राज्य के सभी क्षेत्रों में विकास कार्यो को गति मिलेगी।
आदिवासी क्षेत्रों का विकास ही फोकस
सीएम ने कहा- उनकी सरकार ने बजट में आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए फोकस किया है। हमारी सरकार बस्तर और सरगुजा संभाग क्षेत्र के विकास के लिए वचनवद्ध होकर कार्य करेगी। मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले के मयाली में प्राधिकरण की बैठक को लेकर जिला प्रशासन द्वारा की गई तैयारी की सरहाना की और कहा कि जशपुर जिले में खनिज संसाधनों का भण्डार होने के साथ ही वन एवं वनोपज की उपलब्धता है। यहां के वनोपज, महत्वपूर्ण उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर ग्रामीणों एवं किसानों को आगे बढ़ाया जा सकता है।