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अगर कोई बना ले आपका MMS तो ना हो परेशान, जानिए क्या कानूनी कदम उठा सकते हैं

2 years ago
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Explainer: अगर कोई बना ले आपका MMS तो ना हो परेशान, जानिए क्या कानूनी कदम उठा सकते हैं

22 सितंबर 2022/ चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के होस्टल की छात्राओं का नहाते हुए वीडियो बनाए जाने की खबर से हड़कंप मच गया है। छात्राओं ने आरोप लगाया है कि एमबीए की एक छात्रा ने बाथरूम में नहाती लड़कियों का वीडियो बनाया और उसे अपने बॉयफ्रेंड को भेज दिया। मामला सामने आने के बाद रिवेंज पोर्नोग्राफी और सेक्सटॉर्शन की चर्चा शुरू हो गई है। भारत में साइबर क्राइम और यौन शोषण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। टेक्नोलॉजी के अपडेशन के साथ सेक्सटॉर्शन के मामलों में वृद्धि हुई है। साथ ही रिवेंज पोर्नोग्राफी सामान्य बात हो गई है। इससे आम शब्दों में समझे तो ब्लैकमेलर की तरफ से पीड़िता को निजी तस्वीरों और वीडियोज के जरिए धमकाया जाता है। वीडियो-कॉलिंग ऐप्स पर बातचीत कर न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर लेने के भी केस सामने आए हैं। कई पीड़ितों ने आत्महत्या भी कर ली है। हालांकि ऐसे मामलों में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए भारतीय कानून में कई धाराएं हैं।

साइबर क्राइम करने पर कानून की धाराएं

देश में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधित) कानून 2008 साइबर क्राइम के मामलों में लागू होते हैं। इस श्रेणी में आईपीसी की धारा 292, 293, कॉपी राइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और आतंकवाद निरोधक कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। इंटरनेट पर अश्लीलता का व्यापार तेजी से फैल रहा है। अश्लील फिल्म्स एक बड़ा बिजनेस बन गया है। वहीं अश्लील सामग्री को पब्लिश करने और भेजने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून है।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सजा का प्रावधान

चाइल्ड पोर्नोग्राफ्री मामलों में पोक्सो एक्ट 2012 की धारा 15, आईटी (संशोधन कानून 2008 की धारा 67(ए), आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है। पहली गलती पर 5 वर्ष तक की जेल या 10 लाख तक जुर्माना लग सकता है। दूसरी बार पकड़े जाने पर जेल की सजा 7 साल तक बढ़ सकती है।

ब्लैकमेलिंग से संबंधित प्रावधान

किसी महिला की अश्लील तस्वीर उसकी जानकारी के बिना शेयर की जाती है, तो आईपीसी की धारा 354सी के तहत एक्शन हो सकता है। साथ ही इंडेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ वीमेन (प्रोहिबिशन) एक्ट 1986 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

आईटी अधिनियम 2022 की धारा 66E किसी के सहमति के बिना उसकी फोटो क्लिक करने या प्रसारित करने पर रोक लगाया है।

आईटी अधिनियम 2000 की धारा 67 के तहत किसी को बदनाम करने के लिए फोटो या वीडियो शेयर करना अपराध है।

बाल अश्लीलता पर आईटी अधिनियम 2000 की धारा 67B के तहत कार्रवाई की जाती है।

वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करने और शेयर करने के लिए छिपे हुए कैमरों का इस्तेमाल करना दंडनीय अपराध है। आईटी अधिनियम 2000 की धारा 67ए के तहत सजा का प्रावधान है।

सरकार ने उठाए ये कदम

महिलाओं और बच्चों के प्रति साइबर अपराधों पर विशेष बल देते हुए सरकार ने पोर्टल www.cybercrime.gov.in शुरू किया है। वित्तीय फ्रॉड की तत्काल सूचना देने और धोखाधड़ी करने वालों के द्वारा निधियों की चोरी को रोकने के लिए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली शुरू की गई है। साथ ही साइबर शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए टोल-फ्री नंबर 155260 शुरू किया गया है।

 

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