कोरोनाकाल में जिन बच्चों ने मोबाइल पर ज्यादा समय बिताया, उनकी लर्निंग स्किल पर पड़ा असर
06 मई 2022/ कोरोनाकाल के दो साल में बच्चों की सीखने, समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। बहुत से बच्चे अभी भी न तो लिख पा रहे हैं और न पढ़ पा रहे हैं। कई बच्चे अपने साथियों के साथ संवाद करने में भी झिझक रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो बच्चों में ऑटिज्म से मिलती-जुलती समस्या देखी जा रही है। ये 3 से 8 साल उम्र के बच्चों में ज्यादा है।
कोरोनाकाल के दो साल के दौरान टीवी-मोबाइल पर बच्चे लगे रहे। इसका असर उनकी लर्निंग स्किल पर पड़ा है। न ही वे इशारे समझ पा रहे हैं और न ही बोलचाल की भाषा समझ पा रहे हैं। प्रदेश के पुराने बच्चों के सरकारी अस्पताल में ऐसे केस लगातार सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी को ऑटिज्म कहा जाता है। पहले भी मामले आते रहे हैं, लेकिन कोरोनाकाल में इनकी संख्या बढ़ गई है। इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल तक 25 से 30 केस आ चुके हैं।
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट: पांचवीं के बच्चों का स्तर दूसरी के बराबर
कोरोनाकाल में लंबे अंतराल के बाद जब स्कूल खुले तो स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों का आंकलन किया। इसमें भी यह बात सामने आई कि बच्चों के पढ़ने व लिखने की क्षमता पर बुरी तरह असर पड़ा है। कई बच्चों का स्तर संबंधित कक्षा के दो-तीन कक्षा नीचे था। यानी जो बच्चे पांचवीं में पढ़ रहे थे, उनका स्तर दूसरी कक्षा के समान था, हालांकि, स्कूल खुलने के बाद इस पर ज्यादा फोकस बढ़ा गया। इससे सुधार देखा जा रहा है।
यह लक्षण
बोलचाल नहीं समझ पाना।
इशारों को नहीं समझ पाना।
किसी से मिलना जुलना नहीं।
लगातार हाथ-पैर, सिर को हिलाते रहना।
यह करें अभिभावक
बच्चों को मोबाइल-टीवी से डायवर्ट करें।
बच्चों को अकेला नहीं छोड़े।
बच्चों की फिजिकल एक्टीविटी भी बढ़ाएं।
स्कूल के टीचर से उसके भाषा को समझने और सीखने की क्षमता को लेकर बात करें।
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