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एडसमेटा मुठभेड़ न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश; कहा गया-सुरक्षाबलों ने घबराहट में गोली चलाई, जिससे ग्रामीण मारे गए

3 years ago
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The Chief Minister will present the report of the AdSamata Case Judicial  Inquiry Commission in the House today; There may be uproar over the death  of the farmer | न्यायिक जांच आयोग

रायपुर, 14 मार्च 2022/  करीब एक दशक बाद यह साफ हो गया है कि बीजापुर के एडसमेटा में हुई कथित मुठभेड़ फर्जी थी। सुरक्षाबलों ने बीज पंडुम का त्योहार मना रहे आदिवासियों पर घबराहट में गोली चलाई थी। इसमें 8 ग्रामीणों की मौत हुई थी। यह सच एडसमेटा विशेष न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी। इसके साथ ही यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 17-18 मई 2013 की रात एडसमेटा गांव के पास से गुजरते हुए सुरक्षाबलों ने आग के पास लोगों का जमावड़ा देखा। संभवत: उन लोगों ने ग्रामीणों को नक्सली मान लिया, जिसके परिणामस्वरूप उन लोगों ने आड़ ली और भीड़ की ओर फायर करना शुरू कर दिया। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है, यह गोलीबारी आत्मरक्षा में नहीं की गई थी। कोई भी तथ्य नहीं मिले हैं, जिससे पता चलता हो कि ग्रामीणों की ओर से सुरक्षाबलों पर गोली चलाई गई हो अथवा किसी तरह का हमला किया गया हो। आयोग ने माना है कि यह गोलीबारी ग्रामीणों को पहचानने में गलती और सुरक्षाबलों की घबराहट की वजह से हुई है। आयोग ने माना है कि सुरक्षाबलों के पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण, आधुनिक संचार के साधन और बेहतर प्रशिक्षण होता तो इस तरह की घटना को रोका भी जा सकता था।

रवाना होने से पहले क्या ब्रीफिंग दी गई थी नहीं बताया गया

आयोग ने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि एडसमेटा में उस रात फायरिंग करने वाली टीम को रवाना करने से पहले ब्रीफिंग दी गई थी। उसमें यह बात थी कि आबादी वाले क्षेत्रों से नहीं गुजरना है। उसके साथ सुरक्षाबलों के इस दस्ते को और क्या-क्या बताया गया था, यह अधिकारियों ने नहीं बताया। आयोग के सामने कहा गया कि उन्हें याद नहीं है कि क्या ब्रीफिंग दी गई थी।

आयोग ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव भी दिए हैं

सुरक्षाबलों को बस्तर की सामाजिक स्थितियों और धार्मिक त्योहारों से परिचित हों और वहां के पहाड़ और वन्य क्षेत्रों की भी जानकारी हो ऐसा प्रशिक्षण मॉड्युल बनाया जाना चाहिए।

ऑपरेशन में शामिल टुकड़ियों के बीच संचार तंत्र को और बेहतर और सक्षम बनाया जाना चाहिए।

सभी सुरक्षाकर्मियों को बुलेटप्रुफ जैकेट और नाइट विजन उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए ताकि बल अधिक एक्यूरेसी से और बिना घबराहट के काम कर पाएं।

बल के सदस्यों को अधिक संतुलित और उनकी मनोस्थिति को बेहतर बनाने के लिए व्यापक पाठ्यक्रम प्रदान किया जाना चाहिए।

नक्सलियों की गुरिल्ला लड़ाई पद्धति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को भी पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

सुरक्षाबलों को स्थानीय लोगों के साथ अधिक बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

अब तक सुरक्षा बलों का यह दावा था

17-18 मई 2013 की रात सुरक्षाबलों की फायरिंग में आठ ग्रामीणों की मौत हो गई थी, उनमें से चार बच्चे थे। सुरक्षाबलों का दावा था कि वहां नक्सली थे। उन्होंने ग्रामीणों को ढाल बनाया और क्रास फायरिंग में उनकी मौत हुई। ग्रामीणों का दावा था कि उस रात गांव के लोग बीज पंडुम (स्थानीय उत्सव) मनाने वहां इकट्‌ठा हुए थे। वहां कोई नक्सली नहीं था। वहां पहुंचे सुरक्षाबलों ने उन्हें देखते ही गोली चलाना शुरू कर दिया।

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