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डीजल की कीमतों ने तोड़ी कमर, फिर पारंपरिक खेती की ओर रुख कर रहे किसान
सूरजपुर, 22 जून 2022/ डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम को लेकर जहां एक ओर आम जनता परेशान हैं, तो वहीं किसानों की स्थिति और बदहाल हो गई है। डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से किसान फिर से पारंपरिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। जहां किसान ट्रैक्टर से अधिक से अधिक खेत की जुताई किया करते थे, वहीं अब किसान पारंपरिक तरीके से बैलों से खेती कर रहे हैं। इसकी वजह से एक ओर उनका समय ज्यादा लग रहा है, वहीं दूसरी ओर मेहनत भी कई गुना बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि डीजल महंगा होने की वजह से किराया बहुत बढ़ गया है, जो उनका बजट बिगाड़ रहा है। उनकी मजबूरी है कि वह बैलों से खेत की जुताई करें।
डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से अब किसान पूरी तरह से मौसम पर आश्रित हो गए हैं। सिंचाई के लिए वे डीजल खरीदने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि अब वह खेती के लिए पूरी तरह से मौसम आश्रित है। यदि बारिश कम होती है तो निश्चित ही इस बार फसल खराब होने की भी संभावना है। बता दें कि सूरजपुर कृषि प्रधान जिला है और यहां ज्यादातर लोग किसानी पर ही निर्भर हैं। ऐसे में डीजल की बढ़ी हुई कीमत किसानों के लिए बड़ी समस्या है। साथ ही कम वर्षा भी इनके लिए मुसीबत बनी हुई है। यदि इस वर्ष बारिश कम होती है तो निश्चित ही इन किसानों की हालत और बदतर हो जाएगी। सरकार को इन किसानों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए ताकि यह किसान खेती-किसानी से अपने परिवार का पेट पाल सकें।
किसानों के मुद्दे को लेकर प्रदेश में सत्ता पानी वाली भूपेश सरकार भी इन किसानों के प्रति संवेदनहीन नजर आ रही है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने के बावजूद आज भी किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है, ना तो किसानों को सही समय पर यूरिया खाद मिल पा रही है, ना खेत तक बिजली मौजूद है, और ऊपर से यहां डीजल की बढ़ी हुई कीमत किसानों की कमर तोड़ रही है। किसान की हित का दावा करने वाली सरकार को इन किसानों का दर्द आखिर क्यों नहीं दिखाई दे रहा है, यह सबसे बड़ा सवाल है। शायद यही वजह है कि अब खेती का रकबा कम होता जा रहा है। अगर अब भी सरकार का ध्यान इन किसानों की ओर नहीं गया तो यह अन्नदाता खेती छोड़कर शायद और किसी काम में लग जाएंगे। वहीं इस पूरे मामले पर किसान कांग्रेस के महामंत्री विमलेश तिवारी का कहना कि केंद्र सरकार के रवैया के कारण यह स्थिति बनी हुई है। आज किसानों को डीजल मुहैया नहीं हो पा रही है और किसानों का खेती बिछड़ते जा रहा है।