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17 मार्च को खत्म होगा होलाष्टक, मौसम के बदलाव से जुड़ी हुई है इन आठ दिनों की परंपरा, होली के धुएं से खत्म होते हैं हानिकारक बैक्‍टीरिया

3 years ago
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Holashtak will start from Thursday, there will be fault for the whole week,  during this time there is no auspicious time, new ones will be able to  start after March 17 |

15 मार्च 2022/   होली से पहले वाले दिनों को धर्मग्रंथों में अशुभ बताया गया है। इन दिनों को होलाष्टक कहते हैं। लोक मान्यताओं के मुताबिक इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए। होलाष्टक की परंपरा प्रकृति और मौसम के बदलाव से जुड़ी है। इन दिनों में ग्रहों की चाल और मौसमी बदलाव की वजह से मानसिक और शारीरिक संतुलन गड़बड़ा जाता है। इस कारण ही इन दिनों में शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है।

शारीरिक परेशानी: वसंत की शुरुआत
इन दिनों में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। यानी ठंड से गर्मी की ओर बढ़ते हुए इस मौसम में कफ दोष बढ़ने लगता है। इन दिनों में उड़ने वाले पराग कणों की वजह से कई लोगों को एलर्जीक बीमारियां होती हैं। शरीर में कफ की मात्रा बढ़ने से कई लोगों को खराश, खांसी और जुखाम होने लगता है। इसलिए इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर गुनगुना पानी पीने और शीतल जल से स्नान करने की परंपरा बनाई है। जिससे शरीर में गर्मी और ठंडक दोनों का संतुलन बना रहे।

मानसिक परेशानी: आलस्य और सुस्ती का बढ़ना
होली के पहले वाले दिनों में आलस्य बढ़ जाता है। जिससे नींद ज्यादा आने लगती है। सुस्ती की वजह से कामकाज में मन कम ही लगता है। कई लोगों को इस वक्त शरीर में अकड़न भी महसूस होती है। सूर्य के राशि परिवर्तन की वजह से ऐसा होता है। इसलिए इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठकर उगते सूरज की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया है। सूर्य पूजा से शरीर में विटामिन डी की कमी दूर होने लगती है। सुबह जल्दी उठकर पूजा से पहले प्रणायाम करने से सुस्ती दूर होती है और ध्यान लगाने से आलस्य खत्म होता है।

मौसम के साथ शारीरिक बदलाव
उज्जैन की आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. श्वेता गुजराती का कहना है कि होली से पहले के आठ दिन ये संकेत देते हैं कि रूटीन लाइफ में बदलाव कर लेना चाहिए। इन दिनों में मौसम में बदलाव के साथ शरीर में हार्मोंस और एंजाइम्‍स में भी बदलाव होते हैं। मूड स्विंग होने लगता है। वसंत ऋतु होने से सेक्‍सुअल हार्मोंस के कारण शारीरिक और मानसिक बदलाव भी होने लगते हैं।

होली के पहले वातावरण में हानिकारक बैक्‍टीरिया और वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। सर्दी से गर्मी की ओर जाते हुए इस मौसम में शरीर पर सूर्य की परा बैंगनी किरणें विप‍रीत असर डालती हैं। ये दिन संकेत देते हैं कि सिट्रिक एसिड वाले फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। साथ ही गर्म चीजों का सेवन कम कर देना चाहिए।

सेहत के लिए अच्छा होता है होलिका दहन
डॉ. गुजराती बताती हैं कि होलिका दहन पर जो आग निकलती है वो शरीर के साथ साथ आसपास के बैक्‍टीरिया और नकारात्‍मक ऊर्जा को खत्म कर देती है। क्योंकि गाय के गोबर से बने उपले, पीपल, पलाश, नीम और अन्य पेड़ों की लकड़ियों से होलिका दहन करने पर निकलने वाला धुंआ बैक्‍टीरिया और नकारात्‍मक ऊर्जा को खत्म करता है। इस धुंए की थोड़ी मात्रा शरीर में जाने से सेहत अच्छी रहती है।

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