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प्रदेश में नमी वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाओं का डेरा; रायपुर, दुर्ग और बस्तर के कई इलाकों में बारिश का अलर्ट
रायपुर, 19 फरवरी 2022/ हवाओं की दिशा बदलने से छत्तीसगढ़ के आसमान पर एक बार फिर बादल छा गए हैं। अरब सागर से नमी लेकर आ रही पश्चिमी हवा और बंगाल की खाड़ी से आ रही दक्षिणी हवा ने यहां माहौल बना दिया है। मौसम विभाग का अनुमान है, रविवार को रायपुर, दुर्ग सहित बस्तर संभाग के उत्तरी हिस्से में एक-दो स्थानों पर बूंदाबांदी हो सकती है।
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश में 20 फरवरी को अरब सागर से पश्चिमी हवा और बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त गर्म हवा दक्षिण से आने वाली है। इन हवाओं का मिलन क्षेत्र छत्तीसगढ़ बनेगा। इसकी वजह से रविवार को मध्य छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग के उत्तरी भाग में एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा बूंदाबांदी होने की संभावना है। प्रदेश में अधिकतम तापमान में गिरावट होने की संभावना है। जबकि बादलों की वजह से न्यूनतम तापमान में वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ के मध्य-उत्तर क्षेत्रों में शनिवार को भी दिन भर बादल छाए रहे। संभावना जताई जा रही थी कि सरगुजा संभाग के एक-दो स्थानों पर बरसात होगी। हालांकि अभी तक किसी हिस्से से बरसात की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हालांकि देर रात से सुबह तक बरसात होने की संभावना बनी हुई है।
26 फरवरी तक ऐसा ही रहेगा मौसम
मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा ने बताया, फरवरी का यह मौसम संक्रमण काल जैसा है। इसमें धूप-छांव जैसी स्थिति बनी रहती है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ की जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक 25-26 फरवरी तक मौसम इसी तरह बना रहेगा। बादल आते-जाते रहेंगे। कहीं-कहीं हल्की बरसात हो सकती है। तापमान में बड़ा परिवर्तन नहीं होना है।
जशपुर, पेण्ड्रा, अंबिकापुर, दुर्ग में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम
पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में रात का तापमान काफी गर्म हुआ है। केवल जशपुर, पेण्ड्रा रोड, अंबिकापुर और दुर्ग का न्यूनतम तापमान ही सामान्य से कम है। जशपुर के डुमरबहार में न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस मापा गया है। अंबिकापुर में 11 डिग्री है जो सामान्य से 1.3 डिग्री कम है। पेण्ड्रा रोड में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 1 डिग्री कम है। वहीं दुर्ग में 15.6 डिग्री तापमान दर्ज हुआ है जो सामान्य से .8 डिग्री कम है। छत्तीसगढ़ में सरसो की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, इस मौसम में इस पर माहूं का अटैक हो सकता है।
फसलों में कीटो-बीमारियों का खतरा
मौसम में हो रहे बदलाव और बादलों को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों की देखभाल में सावधानी बरतने की हिदायत दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल छाए रहने से चने की फसल में इल्लियों का प्रकाेप बढ़ सकता है। अगर ऐसा दिखे तो मौसम साफ होने पर दवा का छिड़काव करें। इस मौसम में सरसो का माहूं लगने की आशंका है। सूरजमुखी में भूरा धब्बा रोग लगने की भी संभावना मौसम की वजह से बढ़ी हुई है। हल्की बरसात वाले इलाकों में गेहूं की सिंचाई की जरूरत नहीं है। गर्मी का धान लगाने वाले किसान एक सिंचाई जरूर कर दें।