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तीन साल बाद मंगलवार को मौनी अमावस्या, अब 2042 में बनेगा ऐसा संयोग

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31 जनवरी 2022/  माघ महीने की मौनी अमावस्या को धर्म-कर्म के लिए खास माना गया है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। इस बार ये पर्व 1 फरवरी, मंगलवार को है। इस दिन मकर राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और शनि होने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है।

मंगलवार अमावस्या का संयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बतातें हैं कि ज्योतिष के संहिता स्कंध के मुताबिक, शुभ दिनों में पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देने वाली होती है। 1 फरवरी, मंगलवार को माघ महीने की भौमावस्या का संयोग तीन साल बाद बन रहा है। इससे पहले 16 जनवरी 2018 को मंगलवार को मौनी अमावस्या का योग बन रहा था। अब ऐसा शुभ संयोग अगले 22 साल बाद यानी 21 जनवरी 2042 को बनेगा। जब मंगलवार को मौनी अमावस्या पर्व रहेगा।

माघ अमावस्या पर स्नान, दान और व्रत
इस दिन सुबह जल्दी उठकर तीर्थ या पवित्र नदी में नहाने की परंपरा है। ऐसा न हो सके तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए। माघ महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण करने का खास महत्व है। इसलिए पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर के सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण होता है।

मौनी अमावस्या पर सुबह जल्दी तांबे के बर्तन में पानी, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखें और जरूरमंद लोगों को तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।

मौनी अमावस्या का महत्व
धर्म ग्रन्थों में माघ महीने को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का असर अगले एक महीने तक रहता है। जिससे देश में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है।

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