बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आज 26 धुनों के साथ होगा गणतंत्र दिवस का समापन, ड्रोन शो होगा खास, गांधी की पसंदीदा धुन नहीं बजेगी
नई दिल्ली, 29 जनवरी 2022/ बीटिंग रिट्रीट के साथ आज 73वें गणतंत्र दिवस का समापन हो जाएगा। आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस समारोह का आयोजन ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है। हर साल दिल्ली के विजय चौक पर आयोजित होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह में इस साल एक नया ड्रोन शो खास होगा। समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। समारोह करीब 5 बजे से शुरू होगा। नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और राष्ट्रपति भवन को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया।
बीटिंग रिट्रीट में क्या होगा खास
बीटिंग रिट्रीट के लिए 26 धुनों की लिस्ट बनाई गई है। इनमें ‘केरल’, ‘हिन्द की सेना’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन को मुख्य तौर पर शामिल हैं। समारोह की शुरुआत बिगुल पर फैनफेयर गीत के साथ होगी। इसके बाद मास बैंड वीर सैनिक गीत और पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड 6 धुन बजाएंगे। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के बैंड तीन धुन बजाएंगे। इसके बाद एयरफोर्स का बैंड 4 धुन प्ले करेगा। इसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट एल एस रूपाचंद्रन की तरफ से खास लड़ाकू धुन भी शामिल होगी।
इसके बाद नेवी का बैंड 4 धुनें बजाएगा। फिर आर्मी मिलिट्री बैंड- केरल, सिकी-ए-मोल और हिंद की सेना नाम से 3 धुनें बजाएगा। मास बैंड 3 और धुनें कदम-कदम बढ़ाए जा, ड्रमर्स कॉल और ऐ मेरे वतन के लोगों की प्रस्तुति देगा। समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ होगा। पूरे समारोह में 44 ब्यूगलर्स (बिगुल बजाने वाले), 16 ट्रंपेट प्लेयर्स और 75 ड्रमर्स शामिल होंगे।
इस बार बीटिंग रिट्रीट में एक ड्रोन शो भी देखने को मिलेगा। बता दें कि समारोह में लगभग एक हजार ड्रोन को शामिल किया गया है। इन सभी ड्रोन को ‘बोटलैब डायनेमिक्स’ ने आईआईटी दिल्ली और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया है। इस पूरे समारोह को मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इसे डिजाइन, निर्माण व कोरियोग्राफ किया गया है। करीब 1000 ड्रोन बीटिंग रिट्रीट समारोह में होंगे शामिल
‘अबाइड विद मी‘ धुन समारोह में शामिल नहीं
महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन की धुन ‘अबाइड विद मी’ इस बार बीटिंग रिट्रीट में सुनाई नहीं देगी। बीटिंग रिट्रीट के लिए 26 धुनों की लिस्ट बनाई गई है, जिसमें ‘अबाइड विद मी’ शामिल नहीं है। इसे महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से एक दिन पहले 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह के आखिर में बजाया जाता था।
1950 से लगातार इस धुन को बीटिंग रिट्रीट में बजाया जाता रहा है, लेकिन 2020 में पहली बार इसे समारोह से हटा दिया गया। इस पर काफी विवाद होने के बाद साल 2021 में इसे फिर से समारोह में शामिल कर लिया गया। यह दूसरी बार है जब इस धुन को बीटिंग रिट्रीट से हटाया गया है। भारतीय सेना की ओर से शनिवार को पूरे प्रोग्राम का ब्रोशर जारी किया गया। इसमें इस धुन का जिक्र नहीं है।
क्या है बीटिंग रिट्रीट?
बीटिंग रिट्रीट सप्ताह भर चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है। इस दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। इसी के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो जाता है। पहले ये 24 जनवरी से शुरू होता था, लेकिन इस साल से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 जनवरी से इसकी शुरुआत होगी। इस बार सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है।
बीटिंग रिट्रीट का इतिहास
बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत भारत में 1950 के दशक में हुई थी। भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्लेस के साथ इस सेरेमनी को पूरा किया था। 1952 में भारत में इस समारोह का दो कार्यक्रम आयोजन किया गया था। पहला कार्यक्रम दिल्ली में रीगल मैदान के सामने मैदान में हुआ था और दूसरा लालकिले में।
बीटिंग रिट्रीट की परंपरा तब से चली आ रही है जब सुर्यास्त खत्म होने के बाद जंग बंद हो जाती थी। 17वीं सदी में इंग्लैंड में एक युद्ध के दौरान जेम्स II ने शाम को जंग खत्म होन के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड करने का आदेश दिया था। उस वक्त इस समारोह को वॉच सेटिंग कहा जाता था।