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राजपथ पर छत्तीसगढ़ के ‘गोधन’ की कहानी : देश के सिर्फ 12 राज्यों की झांकियां परेड में होंगी शामिल; जानिए CG की झांकी में क्या रहेगा खास
रायपुर, 25 जनवरी 2022/ छत्तीसगढ़ के “गोधन न्याय योजना’ को प्रदर्शित करती झांकी, बुधवार को राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा होगी। प्रदेश के लिए यह बड़ा अवसर है, क्योंकि 29 राज्यों में प्रतियोगिता के बाद केवल 12 को ही इस परेड में शामिल होने का मौका मिला है। प्रदेश के लिए यह झांकी अकेला विकल्प नहीं थी।
छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा बताते हैं, “विशेषज्ञ समिति ने आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इंडिया-75 न्यू आइडिया की थीम घोषित की थी। गोधन न्याय योजना को न्यू आइडिया के तौर पर चयनित किया गया। यह झांकी गांवों में उपलब्ध संसाधन और तरीकों को आधुनिक तकनीक के साथ प्रस्तुत करती है। यह बताती है कि शहरी और ग्रामीण तकनीक को मिला लिया जाए, तो विश्व की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।’
इस साल देश के सिर्फ 12 राज्यों की झांकियां ही प्रदर्शन के लिए चयनित हुई हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के अलावा केवल मेघालय, गुजरात, गोवा, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर की झांकी शामिल हैं। कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ की इस साल की झांकी गोधन न्याय योजना पर आधारित है। इस झांकी को रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति से निर्धारित कठिन चयन प्रक्रिया के विभिन्न दौर से गुजरने के बाद अवसर मिला है। राजपथ पर झांकी प्रदर्शित करने के लिए 29 राज्यों के बीच यह प्रतियोगिता हुई थी। झांकी और कलाकारों ने दो दिन पहले राजपथ पर फुल ड्रेस रिहर्सल कर लिया है। कलाकारों ने कई दिनाें की मेहनत के बाद झांकी को यह आकार दिया है।
ऐसे चुनी गई गोधन न्याय योजना की थीम
जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक उमेश मिश्रा बताते हैं कि हर साल गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में राज्यों की संस्कृति, हैरिटेज आदि को प्रदर्शित करती झांकियां बनती हैं। इस बार केंद्र सरकार ने पहली बार इसे थीम आधारित कर दिया। इसमें स्वतंत्रता संग्राम, न्यू आइडिया जैसी कई थीम थीं। हम लोगों ने तीन-चार मॉडल बनाकर प्रस्तुतिकरण दिया। इसमें एक भिलाई स्टील प्लांट के राष्ट्र के विकास में योगदान पर केंद्रित था। दूसरा मॉडल छत्तीसगढ़ अंचल के आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का संघर्ष और गाथा बताने वाला था। इसमें वीर नारायण सिंह, गुंडा धुर, गेंदसिंह जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को प्रदर्शित किया गया था। तीसरी झांकी न्यू-आइडिया पर आधारित “गोधन न्याय योजना’ की थी। हमने बताया, यह योजना एक साथ कई समस्याओं का समाधान देती है। हमने इसे पर्यावरण से जोड़ा, स्थानीय स्तर पर रोजगार, स्वच्छता, जैविक खेती और पाेषण को बढ़ावा देने की बात की। रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति को यह आइडिया पसंद आया और यही थीम अंतिम रूप से चुन ली गई। लकड़ी के ढांचे पर मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को बारीकी से रंग दिया गया।
राजपथ के लिए ऐसे तैयार हुई झांकी
रक्षा मंत्रालय से झांकी की अनुमति मिलते ही छत्तीसगढ़ के कलाकारों का दल दिल्ली कैंट स्थित सेना के कैंप रंगशाला में पहुंच गया। सेना ने उन्हें एक ट्रैक्टर-ट्रॉली मुहैया कराया। झांकी को इसी के ऊपर बनाना था। मूर्तिकार विभूति सरकार की अगुवाई में कलाकारों के एक दल ने स्टील-लकड़ी, जूट, मिट्टी से झांकी को आकार दिया। उसको रंग-रोगन के बाद अंतिम रूप से तैयार किया। आज रात को सेना इस झांकी को अपने संरक्षण में लेकर विजय चौक के पास ले जाएगी। झांकी के साथ प्रदर्शन करने वाले कलाकारों का दस्ता सुबह 5 बजे वहां पहुंचेगा।
ऐसी है इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी
झांकी के अगले भाग में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उसे बेचने के लिए गोठानों की ओर ले जाती महिलाओं को दर्शाया जाएगा। ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी। इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर बेचने के लिए बाजार ले जाते दिखाया जाएगा। बीच में एक 10 फीट ऊंची और 14 फीट लंबी गाय खड़ी है, जाे इस पूरे मॉडल का आधार भी है। गाय की पीठ पर गोठान की गतिविधियों को चित्रित किया गया है।नीचे गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती दिखाई जाएगी। नीचे दीवार के आलों में गोबर से बने दीयों और खिलौनों की सजावट दिखेगी। पिछले हिस्से में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया गया है।
झांकी के अगले ही भाग में गोबर बेचने जाती महिलाओं को दिखाया गया है।
इस झांकी में यह भी दिखेगा
इस झांकी के मध्य भाग में गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी की छटा दिखेगी। सबसे आखिरी में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में दर्शाया जाएगा। इसमें प्रदेश में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को भित्ति-चित्र शैली में दिखाया जाएगा। इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुओं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व-सहायता समूहों की महिलाएं भी झांकी में दिखेंगी।
सरगुजा का शिल्प और बस्तर का संगीत
एक योजना पर केंद्रित इस झांकी में छत्तीसगढ़ की समृद्ध और अलग-अलग सांस्कृतिक पहचान को दिखाने की भी कोशिश की गई है। झांकी में प्रदर्शित गोठान की दीवारों को गोबर से लिपी मिट्टी की दीवार जैसा बनाया गया है। उसपर सरगुजा की रजवार भित्ति चित्र शैली में जनजीवन के चित्र बने हैं। झांकी में शामिल महिलाओं में सरगुजा, बस्तर और मध्य क्षेत्र के ग्रामीण महिलाओं की वेशभूषा और अलंकरण की झलक होगी। वहीं मार्चपास्ट के दौरान एक गाेंडी गीत को बजाया जाना है। इसके साथ परफॉर्म करने वाले कलाकार नारायणपुर और दुर्ग से गए हैं।
छत्तीसगढ़ के ये कलाकार जमाएंगे रंग
राजपथ पर झांकी के साथ दुर्ग और नारायणपुर के कलाकार लोक कला के रंग भी बिखेरेंगे। इसमें दुर्ग-बालोद से रिखी क्षत्रिय, कुलदीप सार्वा, पारस रजक, प्रदीप ठाकुर, केंवरा सिन्हा, साधना, नेहा और जया लक्ष्मी ठाकुर शामिल हैं। नारायणपुर क्षेत्र से जैनूराम सलाम, तेजूराम सलाम, सुमित्रा सलाम, घसनी सलाम, जगेन्ती ओर सुनीता सलाम झांकी के साथ राजपथ पर कला का प्रदर्शन करने वाले हैं।