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केंद्र के प्रस्ताव का विरोध : केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति में अधिक अधिकार मांगा, छत्तीसगढ़ ने संघीय ढांचे के खिलाफ बताया

3 years ago
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Why does Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel want to meet Prime Minister Modi along with his ministers - प्रधानमंत्री मोदी से अपने मंत्रियों के साथ क्यों मिलना चाहते हैं छत्तीसगढ़ के सीएम ...

22 जनवरी 2022/    अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की नियुक्ति के अधिकारों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार में ठन गई है। केंद्र सरकार ने IAS, IPS और IFS अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति मामले में अधिक अधिकार मांगे हैं। छत्तीसगढ़ की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव का विरोध किया है। मुख्यमंत्री ने इन अधिकारों के राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका जताई है।

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा, अखिल भारतीय सेवा के कैडर नियमों में संशोधन का प्रस्ताव, अधिकारियों की पदस्थापना के अधिकार एकपक्षीय रूप से बिना राज्य सरकार अथवा संबंधित अधिकारी की सहमति के प्रदान करते हैं। यह संविधान में रेखांकित संघीय भावना के पूर्णत: विपरीत है। छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी कानून व्यवस्था, नक्सल हिंसा के उन्मूलन, राज्य के सर्वांगिण विकास, वनो के संरक्षण सहित विभिन्न प्रशासनिक कार्यों में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। नियमों में बदलाव से इन अधिकारियों में अस्थिरता और अस्पष्टता का भाव जागृत होना स्वाभाविक है।

इससे उनके शासकीय दायित्वों के निर्वहन में असमंजस की स्थिति निर्मित होगी। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण निष्पक्ष होकर काम करना विशेषकर निर्वाचन के समय निष्पक्ष होकर चुनाव संचालन संभव नहीं होगा। राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है एवं अस्थिरता की स्थिति निर्मित हो सकती है।

मुख्यमंत्री ने लिखा, निकट भविष्य में इन नियमों के दुरुपयोग की अत्यंत संभावना है। पहले की कई घटनाओं में अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों को लक्षित कर कार्रवाई किए जाने के कई उदाहरण मौजूद हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य और केंद्र सरकारों के बीच संतुलन एवं समन्वय के लिए मौजूदा नियमों में पर्याप्त प्रावधान हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार कैडर नियमों के बदलाव के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करती है।

CM भूपेश बघेल ने ये पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है

महाराष्ट्र-पश्चिम बंगाल भी कर चुके हैं विरोध
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का कई गैर भाजपा शासित राज्य मुखर विरोध कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की सरकारों ने अपना विरोध दर्ज करा दिया है। वहीं केरल भी केंद्र सरकार की मांग का विरोध कर रहा है। कुछ दूसरे राज्यों में भी इसके विरोध में चर्चा शुरू हो चुकी है। सभी ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ और राज्यों की व्यवस्था को प्रभावित करने वाला बताया है।

यहां से शुरू हुआ है यह विवाद
केंद्र सरकार का कहना है, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में काम के लिए राज्य पर्याप्त संख्या में अधिकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 20 और 27 दिसम्बर व बाद में 6 जनवरी को राज्य सरकारों को पत्र भेजे। इसमें कहा गया कि राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारियों को प्रायोजित नहीं कर रहे हैं।

इससे केंद्र को जितने अधिकारियों की जरूरत है वह पूरी नही हो रही है। DOPT ने इसके लिए कुछ संशोधन सुझाए और राज्य सरकारों ने जवाब मांगा। राज्यों को जवाब देने के लिए 25 जनवरी तक का समय दिया गया है। बताया जा रहा है, अगर तब तक भी राज्य सरकारों ने जवाब नहीं दिया तो केंद्र सरकार इसे सहमति मानकर नियमों को राजपत्र में प्रकाशित कर लागू कर देगी।

कैडर नियमों में इस तरह का बदलाव प्रस्तावित
अखिल भारतीय सेवा के नियम में चार संशोधन प्रस्तावित हैं। पहला यह कि यदि राज्य सरकार किसी राज्य कैडर के अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने में देर करती है और तय समय के भीतर केंद्र सरकार का आदेश नहीं मानती तो केंद्र सरकार संबंधित अधिकारी को खुद ही कैडर से पदमुक्त कर देगी। अभी प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य सरकार की NOC यानी सहमति जरूरी है।

दूसरा बदलाव कहता है, केंद्र सरकार राज्य के परामर्श से केंद्र सरकार मे प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगा। राज्य इसे उपलब्ध कराएगा। मौजूदा मानदंडों के अनुसार, राज्यों को केंद्र सरकार के कार्यालयों में अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी होती है। किसी भी समय यह प्रतिनियुक्त किए गए अफसरों की कुल संख्या कैडर के 40% से अधिक नहीं हो सकता।

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