- Home
- breaking
- Chhattisgarh
- कोदो-कुटकी-रागी खरीदी का दायरा बढ़ाया : पूरे छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला, अभी तक अनुसूचित क्षेत्रों में ही हो रही थी खरीदी
कोदो-कुटकी-रागी खरीदी का दायरा बढ़ाया : पूरे छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला, अभी तक अनुसूचित क्षेत्रों में ही हो रही थी खरीदी
रायपुर, 08 जनवरी 2022/ राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी की फसलों को पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया है। इनको राज्य लघु वनोपज संघ से संबद्ध प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के जरिए खरीदा जाएगा। अभी तक सरकार केवल अनुसूचित क्षेत्रों में इन फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही थी।
वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने बताया, प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों ने कोदो, कुटकी और एवं रागी का संग्रहण शुरू किया है। अभी कवर्धा, राजनांदगांव और बालोद जैसे जिलों में बहुतायत में कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन होता है। लेकिन इन जिलों में अनुसूचित ब्लॉक नहीं हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों के किसानों खासकर बैगा आदिवासी अपनी फसल को सही दाम पर नहीं बेच पा रहे हैं।
राज्य सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से अब छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति क्षेत्र में आने वाले समस्त गांवों में कोदो, कुटकी एवं रागी खरीदी पर किसानों को समर्थन मूल्य का फायदा मिलेगा। सरकार ने पिछले साल फरवरी में इन फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया था। तब से इनकी खरीदी प्रक्रिया चल रही थी। इसमें आ रही तकनीकी दिक्कतों काे ध्यान में रखते हुए खरीदी का दायरा बढ़ाने से लेकर कुछ दूसरे महत्वपूर्ण बदलाव भी हुए हैं।
तीन हजार रुपए क्विंटल तय हैं दाम
सरकार ने कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। वहीं रागी का समर्थन मूल्य तीन हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल रखा है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से की गई है। इसके अलावा इन फसलों के वैल्यू एडिशन का काम हो रहा है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है। सरकार इन फसलों का उत्पादन और क्षेत्रफल दोनों को बढ़ाने की कोशिश में है।
समितियों से बाहर रह गए गांव
अधिकारियों ने बताया, राज्य के कुछ गांव जहां कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन होता है लेकिन प्राथमिक लघु वनोपज समिति अथवा जिला यूनियन के कार्य क्षेत्र से बाहर स्थित हैं। ऐसे गांवों तथा क्षेत्रों को चिह्नांकित कर समीपस्थ प्राथमिक लघु वनोपज समिति एवं जिला यूनियन के कार्यक्षेत्र में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। इससे इन क्षेत्रों के मिलेट उत्पादक किसानों को फायदा होगा।
बदले जाएंगे समितियों के नियम
प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने बताया, नए गांवों और क्षेत्रों को शामिल करने के लिए कुछ नियमों में बदलाव करना होगा। छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत प्राथमिक लघु वनोपज समिति एवं जिला यूनियन के उप नियमों में संशोधन कर इसका विस्तार किया जाएगा।