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राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार अब हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से दिया जाएगा

3 years ago
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Khel Ratna Award will now be called as Major Dhyan Chand Khel Ratna Award, announces Prime Minister, Narendra Modi - राजीव गांधी खेल रत्न का नाम अब हुआ 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न

 

नई दिल्ली 06 अगस्त 2021/    केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया गया है। मोदी ने इस फैसला का ऐलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा।  मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।

 

 

 

1991-92 में हुई थी राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। सरकार ने 1991-92 में इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार पहले भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था। अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को ये अवॉर्ड दिया गया है।

3 हॉकी प्लेयर्स को मिला खेल रत्न अवॉर्ड
हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले (1999/2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल है।

हॉकी का जादूगर कहे जाते हैं ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।

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