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सूरजपुर वन मंडल में हाथी को धान खिलाने का प्रयोग सफल – वन मंत्री मोहम्मद अकबर
रायपुर 04 अगस्त 2021/ जंगली हाथियों को गांवों में आने से रोकने के लिए धान खिलाने की योजना पर उठे विवाद के बीच वन विभाग ने प्रयोग शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने आज बताया, सूरजपुर, धरमजयगढ़ और बालोद वन मंडलों में हाथी के लिए धान रखा गया था। इसमें सूरजपुर वन मंडल के तीन क्षेत्रों में हाथी दल को धान खिलाने का प्रयोग सफल रहा है। वन विभाग इस योजना में किस दर से कितनी मात्रा में धान खरीदेगा इस पर अभी मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया है।
पांच बीट में कुल 20 क्विंटल धान रखा गया
रायपुर के शंकर नगर स्थित आवास में प्रेस से चर्चा में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया, सूरजपुर वन मंडल में 22 जुलाई को अलग-अलग पांच बीट में कुल 20 क्विंटल धान रखा गया था। इसमें से बंशीपुर, टुकुडांड और बगड़ा में हाथी ने रखा हुआ 14 क्विंटल धान खाया है। दरहोरा और धरमपुर में रखा धान वैसे ही पड़ा है। धरमजयगढ़ के लोटान बीट में दो स्थानों पर, बेहरामपुर बीट में दो स्थानों पर और हाटी बीट में दो स्थानों पर धान रखा गया, लेकिन हाथी दलों ने नहीं खाया। वहीं बालोद के गोटुलमुड़ा, जबकोरा और मंगलतराई बीट में 20 क्विंटल धान रखा गया था, जिसे हाथी दलों ने नहीं खाया है।
सड़ा धान नहीं लेने का दावा
वन मंत्री ने बताया, वन विभाग ने रहवासी क्षेत्रों को जंगली हाथियों से बचाने के लिए प्रयोग के तौर पर धान रखने का काम शुरू किया है। इसके तहत पहले अलर्ट सिस्टम के जरिए ग्रामीणों को हाथियों के आगमन की सूचना देनी है। यह जानते हुए कि हाथी भोजन की तलाश में आ रहे धान के बोरों को खोलकर हाथी दल के मार्ग में रखना है, ताकि गांव के बाहर ही भोजन पाने के बाद हाथी मकानों को क्षतिग्रस्त न करें। ऐसा उन्हीं क्षेत्रों में किया जाना है जहां हाथियों की मौजूदगी है। पूरे राज्य में ऐसा नहीं किया जाएगा। वन मंत्री का कहना था, वन विभाग इसके लिए अलग से धान नहीं खरीद रहा है। यह खाद्य विभाग द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान का विभागीय अंतरण है। वन मंत्री ने यह भी दावा किया कि विभाग हाथियों के लिए सड़ा हुआ धान नहीं ले रहा है।
प्रदेश में मौजूद हैं 307 जंगली हाथी
वन मंत्री ने बताया, इस समय प्रदेश में 16 प्रमुख दलों में 307 हाथी प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में मौजूद हैं। हाथियों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में प्रमुख रूप से रेहन, तमोर-पिंगला, बादलखोल अभयारण्य, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, धरमजयगढ़, कापू, लैलूंगा, बोरा, बाकारूमा, कुदमुरा, करतला, पसांद, कटघोरा, रायगढ़, घरघोड़ा, तमनार, बालोद, मैनपुर और कोठारी शामिल हैं।
9 हाथियों को लगा था रेडियो कॉलर, एक ही काम कर रहा
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 10 हाथियों को रेडियो कॉलर लगाने की अनुमति जारी की है। इससे पहले भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून ने 6 हाथियों को रेडियो कॉलर लगाया था। दो हाथियों को वाइल्ड लाइफ संस्था और एक हाथी को राज्य के वन विभाग ने रेडियो कॉलर पहनाया था। इसमें से एक ही रेडियो कॉलर काम कर रहा है। शेष 8 की बैट्री खत्म हो गई है अथवा गिर गई है।